नई दिल्ली। माईकल फेल्प्स ने रियो ओलंपिक में सबसे कठिन वर्ग 4x100 मीटर में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। फेल्प्स के नाम अब ओलंपिक में कुल 21 गोल्ड मेडल हो गये हैं जोकि अपने आप को कीर्तिमान है। लेकिन इन सबके बीच कपिंग को लेकर काफी चर्चा है, फेल्प्स के शरीर पर बने गोल निशान को लेकर सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हो रही है कि ये सर्किल क्या हैं। ना सिर्फ फेल्प्स बल्कि अन्य खिलाड़ियों के शरीर पर भी इसी तरह के निशान देखने को मिल रहे हैं।
21 गोल्ड जीतने वाले फेल्प्स की लाइफ के कुछ रंग 'ग्रे' भी...
दरअसल कपिंग एक तकनीक है जिसमें शरीर के हिस्से में गोल छेद का निशान बनाया जाता है। यह एक प्राचीन चीनी परंपरा है, इस परंपरा में गर्म कांच के गिलास से शरीर पर गोल छेद बनाये जाते हैं। कपिंग थेरेपी पारंपरिक रूप से गर्म कांच के गिलास से की जाती थी लेकिन अब यह इलेक्ट्रानिक पंप के जरिए भी की जाती है।
इस तकनीक का इस्तेमाल शरीर के हिस्से को खींचा जाता है, जिससे रक्त स्त्राव बेहतर होता है जोकि मानसिक रुप से व्यक्ति के भीतर संतुलन लाता है और शरीर को जल्द से जल्द लाभ देने में मदद करता है। खिलाड़ी इस तकनीक का इस्तेमाल शरीर में हुई थकावट या चोट से जल्द से जल्द रिकवरी के लिए करते हैं। खिलाड़ी ऐसा उस समय करते हैं जब लगातार एक के बाद एक हर रोज कठिन प्रैक्टिस वो करते हैं।
डॉक्टरों में है कपिंग के लाभ को लेकर मतभेद
हालांकि लोग इस परंपरा को झूठा विज्ञान भी बताते हैं क्योंकि इससे होने वाले लाभ के कोई पुख्ता तथ्य लोगों के पास नहीं हैं। ऐसा मानना है कि इससे शरीर को भी खतरा रहता है।
Thanks @arschmitty for my cupping today!!! #mpswim #mp 📷 @chasekalisz
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इस तकनीक में माना जाता है कि दर्द नाम मात्र का ही होता है, मरीज को सिर्फ हल्की सी चुभन महसूस होती है लेकिन घंटों उसे दर्द से आराम भी महसूस होता है। लेकिन इस तकनीक से बनने वाले गोल सर्किल के दाग दो-तीन हफ्तों तक बने रहते हैं।