रियो डी जेनेरियो। रन मशीन कहे जाने वाले दुनिया के सबसे तेज दौड़ने वाले शख्स उसैन बोल्ट ने कल ओलंपिक गोल्ड जीतने के साथ ही संन्यास ले लिया। रफ्तार के इस सौदागर ने इतिहास रचते हुए ओलंपिक खेलों में नौवां गोल्ड मेडल अपने नाम करने में कामयाबी पाई है।
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उन्होंने यह उपलब्धि कल यानी शनिवार को 4*100 मीटर रेस में जमैका की तरफ से खेलते हुए गोल्ड मेडल जीतकर अपने नाम की है। वह इससे पहले रियो ओलंपिक में ही 100 और 200 मीटर की रेस में भी गोल्ड मेडल जीत चुके हैं।
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आपको बता दें कि लंदन और बीजिंग ओलंपिक में भी उन्होंने तीन स्पर्धाओं में सोना अपने नाम किया था। इस तरह से लगातार तीन ओलंपिक खेलों की तीन स्पर्धाओं में स्वर्ण जीतने वाले पहले एथलीट बन गए हैं।
4*100 मीटर की इस रेस को पूरा करने में जमैका ने 37.27 सैकंड का समय लिया। बोल्ट ने ट्विटर पर भी बीजिंग, लंदन और रियो ओलंपिक में अपने खेल का जिक्र किया और खुशी जाहिर की।
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इस करिश्माई खिलाड़ी ने दुनियाभर में अपने प्रशंसकों को कभी निराश नहीं किया। नौ साल बाद 9 स्वर्ण पदकों के साथ रियो ओलंपिक में विराम लगने के साथ ही उनका नाम इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज हो गया।
उनकी विदाई के साथ ट्रैक पर दिखने वाला दुनिया का सबसे तेज आदमी अब भविष्य में दौड़ता नहीं दिखाई देगा। बोल्ट का मानना है कि उनका 'मिशन ओलंपिक' अब खत्म हो चुका है।
ओलंपिक चैंपियन बोल्ट ने कहा कि , 'मैंने अपने देश की जरूरत को पूरा किया है और हमेशा ही देश का एम्बेसेडर बनने का प्रयास किया है। मैं रिटायरमेंट के बाद भी अपने देश और खेल के लिये ऐसा करता रहूंगा। दुनिया के सबसे सफल ट्रैक एथलीट बोल्ट को निश्चित ही आदर्श माना जा सकता है जिन्होंने अपने कॅरियर में एक बार भी डोप टेस्ट फेल नहीं किया है।'