नयी दिल्ली (ब्यूरो)। क्रिकेट को बेइंतहा चाहने वालों को अब सब्र कर पाना मुश्किल हो रहा होगा क्योंकि विश्वकप की उल्टी गिनती शुरु हो गई है। आगामी 14 फरवरी से वर्ल्डकप शुरु हो रहा है। कई नियमों में बदलाव किए गये हैं तो कई नियमों को हटा भी दिया गया है। वहीं जो सबसे खास बात है वो ये है कि इस बार अगर विश्वकप फाइनल टाई रहता है तो इसका फैसला सुपर ओवर के जरिए किया जायेगा। उल्लेखनीय है कि 2011 विश्वकप के दौरान भी यह नियम लागू था।
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने गुरुवार को हुई बोर्ड की बैठक के बाद इस बदलाव की घोषणा की। आईसीसी ने 2011 विश्व कप फाइनल एवं अन्य आईसीसी आयोजनों की तर्ज पर विश्व कप-2015 के फाइनल का फैसला सुपर ओवर के माध्यम से कराने का फैसला जारी रखा है। आईसीसी के मुताबिक टाई की स्थिति में यही विजेता को चुनने का सबसे कारगर उपाय है। बोर्ड ने 'आईसीसी कोड ऑफ कंडक्ट' के तहत धीमे ओवर गति से जुड़े नियमों में बदलाव को हरी झंडी दिखाई।
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अब विश्व कप में हिस्सा लेने जा रहे कप्तान पर बीती किसी सीरीज में धीमी ओवर गति के कारण मिली सजा को नहीं गिना जाएगा। वह नए सिरे से विश्व कप की शुरुआत कर सकेगा। इसका मतलब यह है कि विश्व कप में हिस्सा लेने वाले तमाम कप्तान अगर विश्व कप के दौरान धीमी ओवर गति के लिए दोषी पाए गए तो ही उनके खिलाफ किसी तरह की सजा मान्य होगी। आईसीसी ने बोर्ड की बैठक में खिलाड़ियों की सुरक्षा पर भी चर्चा की। यह कहा गया कि आस्ट्रेलियाई खिलाड़ी फिलिप ह्यूज की मौत काफी दुखदाई थी और इसी कारण हेलमेट बनाने वाली कम्पनियों को नई मॉडलों के साथ बाजार में आने को कहा गया है।
कप्तान को भुगतना पड़ेगा धीमी ओवर गति की सजा
आईसीसी कोड ऑफ कंडक्ट के तहत आईसीसी टूर्नामेंटों में धीमी ओवर गति के अपराधों की स्थिति में आईसीसी आचार संहिता के उपयोग में बदलाव को भी मंजूरी दी गई है। अब आईसीसी टूर्नामेंट में किसी दूसरी सीरीज में धीमी ओवर गति के कारण निलंबन या पिछले इस तरह के अपराध का असर कप्तान पर नहीं पड़ेगा। इसके मायने हैं कि सिर्फ विश्व कप मैचों में ही धीमी ओवर गति का कसूरवार पाये जाने पर कप्तानों पर निलंबन का खतरा होगा।
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