नई दिल्ली। केंद्रीय खेल मंत्री विजय गोयल ने बुधवार को कहा कि जर्मनी में भारतीय पैरा-एथलीट कंचनमाला पांडे की भीख मांगने के मामले की जांच की जाएगी। पांडे को पर्ल-स्वीमिंग चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए बर्लिन पहुंचने के लिए भीख मांगने को मजबूर होना पड़ा क्योंकि मंजूर किया गया धन उनके पास समय पर नहीं पहुंच सका था। गोयल ने कहा कि खेल मंत्रालय ने पैरालम्पिक कमेटी को धन मंजूर कर दिया था लेकिन यह पांडे तक पहुंच नहीं सका।
गोयल ने कहा कि कंचनमला पांडे के लिए धनराशि को समय पर जारी किया गया था और पैरालम्पिक समिति को दिया गया था। इसलिए, एक बात स्पष्ट है कि खेल मंत्रालय की ओर से कोई दोष नहीं था। मैंने देरी पर पैरालम्पिक कमेटी से सवाल किया है।
गोयल ने कहा कि 'वे बहाने दे रहे हैं, लेकिन वे स्वीकार करते हैं कि उन्होंने कोच को अपने दम पर धन का प्रबंधन करने के लिए कहा था। यह स्पष्ट तौर लापरवाही का मामला है और मैंने उन्हें बताया है कि इस मामले में जांच की जाएगी।'
वहीं इस पूरे मसले पर पांडे ने कहा कि 'बर्लिन की यात्रा को सरकार ने मंजूरी दे दी थी।' भारत की पैरालंपिक समिति (पीसीआई) ने हमें बताया कि वे पैसे नहीं दे सकते क्योंकि उनके खाते को रोक दिया गया है और हमें अपना पैसा खर्च करना है। उन्होंने हमसे ही हमारी यात्रा का खर्च उठाने के लिए कहा और बाद में देने की बात कही। पांडे ने कहा कि उनके कोच ने भी अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया और उन्हें खुद बर्लिन में सभी औपचारिकताएं पूरी करनी थीं।
यहां तक कि मेरी एंट्री गलत समूह में हो गई थी। मैंने इसे बाद में जाँच लिया और पता चला कि मेरी एंट्री एक गलत समूह में की गई था। फिर मैंने ही इसे सही किया। पांडे ने कहा कि यह कोच की जिम्मेदारी थी बर्लिन में उनके लिए यात्रा करने का प्रबंध करें, जो उन्होंने नहीं किया और इस वजह से उन्हें टिकट परीक्षक का भुगतान करने के लिए भी पैसे उधार लेना पड़ा।
पांडे ने कहा कि 'मैं एक ट्राम में यात्रा कर रही थी। ट्राम में यात्रा करने के लिए, एक पास की जरूरत थी, जो मेरे कोच की जिम्मेदारी थी, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। मुझे टिकट पर परीक्षक फाइन देने के लिए साथी तैराक से पैसे उधार लेना पड़ा।' पांडे ने केंद्र सरकार से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि ऐसी घटनाओं को दोबारा नहीं दोहराया जाए।