नई दिल्ली (विवेक शुक्ला)। मशहूर बैडमिंटन खिलाड़ी सायना नेहवाल ने पद्म भूषण हासिल करन के लिए जिस तरह से स्यापा किया, वह उनके कद के खिलाड़ी को शोभा नहीं देता था। सारा देश उनकी उपलब्धियों से वाकिफ है और उन्हें अलग-अलग तरीकों और मंचों से सम्मानित भी करता रहा। इस बात की रोशनी में सायना ने पद्म भूषण के लिए हंगामा करके अपना कदम छोटा ही किया।
उनका तर्क था कि जब खेल मंत्रालय सुशील कुमार का नामांकन उक्त पुरस्कार के लिए कर सकता है तो उनके साथ नाइँसाफी क्यों ? हालांकि खेल के जानकार उनके इस तर्क को नहीं मानेंगे।
बेहतर सुशील
सुशील कुमार की उपलब्धियां सायना से कहीं बेहतर हैं। उन्होंने बीजिंग ओलंपिक खेल-2008 में कांस्य पदक; राष्ट्रमंडल खेल-2010 में स्वर्ण पदक; विश्व वरिष्ठ कुश्ती प्रतियोगिता-2010 में स्वर्ण पदक; लंदन ओलंपिक खेल-2012 में रजत पदक; राष्ट्रमंडल खेल-2014 में स्वर्ण पदक तथा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अन्य कई उपलब्धियों पर विचार करने के बाद किया गया था।
अब मिलेगा पदम भूषण
इस बीच, खेल मंत्रालय ने भारतीय बैडमिंटन संगठन से 3 जनवरी, 2015 को पद्म भूषण के लिए सायना नेहवाल का नामांकन प्राप्त कर लिया। हालांकि अनुशंसा करने की अंतिम तिथि बहुत पहले समाप्त हो चुकी है, पर सायना नेहवाल की उपलब्धियों को देखते हुए खेल विभाग ने एक विशेष मामले के रूप में गृह मंत्रालय के पास पद्म भूषण के लिए उनका नाम अनुशंसित करने का फैसला किया है। यानी कि अब उन्हें पदम पुरस्कार मिल ही जाएगा।
बंद हो बंदरबाट
पर इस सारे मामले से एक बात साफ हो गई कि हमारे इधर पुरस्कार लेने के लिए जिस तरह की बंदरबाट मची हुई है, वह अशोभनीय है। पुरस्कारों को लेकर कोई पैमाने तय हो जाने चाहिए। उसके बाद ही पुरस्कार दिए जाएं। मौजूदा स्थिति में तो पुरस्कार अपना महत्व ही खो रहे हैं। कम से कम सायना ने पदम पुरस्कार पाने के लिए जिस तरह से शोर-शराबा किया, उससे उन्होंने बहुत से प्रशंसकों को निराश ही किया।