नई दिल्ली। रियो ओलंपिक में भारत का पदक पक्का करने वाली भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु ने सिंगल्स के फाइनल में स्थान बनाकर गुरुवार को इतिहास रच दिया। शुक्रवार को फाइनल मुकाबला होना है जिसमें उनकी निगाह स्वर्ण पदक जीतने पर होगी।
ओलंपिक में बैडमिंटन स्पर्धा के फाइनल में जगह बनाने वाली भारत की पहली महिला शटलर पीवी सिंधु का मुकाबला विश्व की नंबर 1 खिलाड़ी स्पेन की कैरोलिना मारिन से होना है।
सेमीफाइनल मुकाबला दो सीधे सेटों में जीतने वाली सिंधु ने एक टीवी चैनल से बातचीत के दौरान कहा, 'मेरा लक्ष्य ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता है और मैं इसके लिए जीजान लगा दूंगी।'
सिंधु रियो ओलंपिक में अबतक एक भी मुकाबला नहीं हारी हैं। यहां तक कि उन्होंने विश्व की नंबर 2 और नंबर 3 की महिला बैडमिंटन खिलाड़ियों को हराकर यह साबित कर दिखाया है कि वह नई भारतीय बैडमिंटन सनसनी हैंं।
महिला बैडमिंटन की ओलंपिक में बात करें तो सिंगल्स इवेंट में पिछले बीजिंग ओलंपिक के दौरान भारतीय शटलर साइना नेहवाल भारत के लिए मेडल जीतने में कामयाब रही थीं।
पीवी सिंधु का पूरा नाम है पुसारला वेंकट सिंधु। उन्हें खेल अपने पैरेंट्स से विरासत में मिला। पिता पीवी रमन्ना और मां पी. विजया वॉलीबाल खिलाड़ी रह चुके हैं। सिंधु के पिता रमन्ना तो खेलों में योगदान के चलते अर्जुन अवॉर्ड भी जीत चुके हैं। सिंधु ने 8 साल की उम्र से बैडमिंटन खेलना शुरू किया।
गोपीचंद बैडमिंटन अकेडमी से जुड़ना उनके जीवन का अहम पड़ाव रहा। इसके बाद लगातार उनके प्रदर्शन में सुधार ही होता चला गया। सिंधु को भी अर्जुन अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है।
सिंधु साउथ एशियन गेम्स, एशियाड, कॉमनवेल्थ गेम्स और वर्ल्ड चैंपियनशिप जैसे लगभग हर बड़े खेल इवेंट में मेडल जीत चुकी हैं। वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में दो बार कांस्य पदक जीतने वाली सिंधु के पास केवल ओलंपिक मेडल की कमी थी, जो कि अब पूरी हो चुकी है।