मैदान में ही किया प्रपोज़
लगातार छह सालों से फ़ीफ़ा रैंकिंग में पहले नंबर पर चल रहे स्पेन से इतने शर्मनाक प्रदर्शन की किसी को उम्मीद नहीं थीटूर्नामेंट में बने रहने के लिए स्पेन को ये मैच हर हाल में जीतना जरूरी था। खेल की शुरुआत से ही स्पेन के खिलाड़ियों पर इस बात का दबाव साफ़ नज़र आ रहा था।
टूर्नामेंट में अपना पहला मैच जीत चुके चिली ने शुरुआत से ही बेहद आक्रमक खेल दिखाया और स्पेन को पीछे धकेल दिया। 20वें मिनट में मिले एक पास को गोल में बदलने में चिली के वारगास ने ज़रा भी ग़लती नहीं की और अपनी टीम को 1-0 की बढ़त दिला दी। स्पेन की हार का सबसे कारण उसका दबाव में खेलना बताया जा रहा है। प्रशंसकों का शोर और रिकॉर्ड बरकरार रखने का उत्साह उस पर दबाव की तरह आया और देखते ही देखते पूरी टीम भरभराकर हार की ओर ढह गई।
नहीं सह पाया दबाव-
हालांकि स्पेन ने जवाबी हमला बोला लेकिन उनके आक्रमण में पैनेपन की कमी साफ़ देखी जा सकती थी। खिलाड़ियों पर अब उन पर दबाव था कि जल्दी से बराबरी का गोल किया जाए। गोल हुआ ज़रूर लेकिन इस बार भी चिली ने ही बाज़ी मारी। 43वें मिनट में एलेक्स सांचेज के शॉट को स्पेन के गोलकीपर इकर कासियास ने रोका ज़रूर लेकिन बॉल को रीबाउंड पर चिली के चारलेस एंरिगीस ने गोल में डाल दिया।
उसके बाद दूसरे हाफ़ में हालांकि स्पेन ने हमलों में तेज़ी दिखाई। 53वें मिनट में उन्हें गोल करने का सुनहरा मौक़ा मिला लेकिन सर्गियो बुसकेट्स की बाएं पैर से लगाई किक गोल पोस्ट को मिस कर गई। 84वें मिनट में स्पेन के पास गोल करने का एक और मौक़ा आया लेकिन आंड्रेज़ इनियेस्ता की ज़बरदस्त किक को चिली के गोलकीपर क्लाउडियो ब्रावो ने बेहतरीन छलांग लगाकर रोक दिया।