वीजा ईशू के नाम पर नहीं जा सके खिलाड़ी
भारतीय फुटबॉल टीमों के साथ वीजा का यह मामला कोई नया नहीं है। इससे पहले तीन बार और भी कथित वीजा ईशू के नाम खिलाड़ी बाहर नहीं जा सके। अब इसे संयोग कहें या AIFF का निकम्मापन की हर बार वीजा ईशू सिर्फ अमेरिका के साथ ही होता है। इससे पहले पहले सीनियर टीम , फिर अंडर-23 और अब अंडर-17 वीजा ईशू के चलते खेलने नहीं जा पाया।
यह कोई नया मामला नहीं
भारतीय फुटबॉल टीमों के साथ वीजा का यह मामला कोई नया नहीं है। इससे पहले तीन बार और भी कथित वीजा ईशू के नाम खिलाड़ी बाहर नहीं जा सके। अब इसे संयोग कहें या AIFF का निकम्मापन की हर बार वीजा ईशू सिर्फ अमेरिका के साथ ही होता है। इससे पहले पहले सीनियर टीम , फिर अंडर-23 और अब अंडर-17 वीजा ईशू के चलते खेलने नहीं जा पाया।
किसी को शायद ही कुछ पता हो?
ऐसा होने के पीछे कई सारी वजहे हैं। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्रालय संभालने वाले प्रफुल्ल पटेल अभी AIFF के अध्यक्ष हैं। उन्हें साल 2016 के दिसंबर में दोबारा चुना गया था। वो क्या कर रहे हैं किसी को शायद ही कुछ पता हो? यहां एक बात और समझ के परे है कि कैसे तमाम खेलों की बागडोर उन लोगों के हाथ में दे दी जाती है जिनका उससे कोई दूर-दूर का वास्ता नहीं होगा।
कैसे कर सकते हैं खिलवाड़?
प्रफुल्ल पटेल इसके अकेले उदाहरण नहीं हैं। इस सूची में शरद पवार, विजय गोयल सरीखे कई नाम शामिल हैं। जिस आदमी ने अपनी पूरी राजनीतिक करियर में सिर्फ राजनेताओं के खिलाफ बयान देने का काम किया हो। जिस शख्स का खेल से कोई वास्ता-नाता-रिश्ता ही ना हो उसे कैसे खेल मंत्री, AIFF का अध्यक्ष कैसे बनाया जा सकता है? कैसे कोई देश खेल के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर सकता है?
कंचनमाला को मांगनी पड़ी भीख!
ये तो रहा AIFF का हाल। अब बात करते हैं पैरालंपिक समिति (पीसीआई) ने एक विकलांग (सरकरी भाषा में दिव्यांग) खिलाड़ी कंचनमाला पांडे को जर्मनी में भीख मांगने पर मजबूर कर दिया। कोच ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई। पीसीआई ने कंचनमाला से कहा था कि आप पहले खर्चा कर लीजिए फिर हम आपको दे देंगे। समझ के परे यह है कि हमारी सरकारें और खेल मंत्री खुले तौर पर कैसे खेल के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं?
हॉकी के स्टेडियम में क्रिकेट?
ये सब तो आए दिन होता ही रहता है और जब तक दावे और वादे सिर्फ कागजों में ही रहेंगे तो ये सब होगा। आपको वो दिन तो याद ही होगा जब चैंपियंस ट्रॉफी में के दौरान भारत और पाकिस्तान के फाइनल क्रिकेट मैच के दिन ही हॉकी का भी मैच था। क्रिकेट में तो भारतीय टीम हार गई लेकिन हॉकी में हमने पाकिस्तान को 1-7 से करारी मात दी। उस पर आलम ये कि जो सरकार हर पल राष्ट्रवाद की ज्वाला प्रज्जवलित करती रही है उसी के खेल मंत्री विजय गोयल की मौजूदगी में मेजर ध्यान चंद स्टेडियम में हॉकी की जगह क्रिकेट के मैच का लाइव प्रसारण किया गया। तिस पर माननीय मंत्री जी की बहादुरी यह कि उन्होंने इसे ट्वीट भी किया। हालांकि ना तो मीडिया ने इसे कही दिखाया ना ही किसी ने इसका खास विरोध किया। मीडिया उस दिन क्रिकेट में टीम के हार का शोक मना रही थी और हॉकी को जले पर बरनॉल की तरह यूज किया जा रहा था। (खेल मंत्री विजय गोयल के फेसबुक पेज का स्क्रीन शॉट)
हमारी दुनिया क्रिकेट से बहुत आगे है
बेहतर हो कि हम लोग सिर्फ और सिर्फ क्रिकेट के पीछे लगना छोड़कर उससे आगे बढें। प्रधानमंत्री मन की बात में चाहे जो कह लें जब तक वो हकीकत की जमीन पर साकार नहीं होगा उनकी बातों का कोई फायदा नहीं मिलने वाला। क्रिकेट को धर्म मान चुके देश को यह समझना होगा कि हमारी दुनिया क्रिकेट से बहुत आगे है। भला हो प्राइवेट संस्थाओं का जिन्होंने क्रिकेट अलावा भी खेलों को जिंदा रखा है।