चाय बेचते थे एकता के पिता
लेकिन उत्तराखंड के अल्मोड़ा की रहने वाली बिष्ट की कहानी पहाड़ की तरह कठिनाइयों भरी रही हैं। बिष्ट के पिता कुंदन सिंह बिष्ट ने इंडियन आर्मी से हवलदार पद से रिटायर होने के बाद अपनी बेटी का सपना पूरा करने के लिए चाय की दुकान डाली और उस इनकम से घर और एकता की जरूरतों को पूरा किया।
मुंबई जाने के लिए नहीं थे पैसे
इस उभरते खिलाड़ी के जीवन में एक पल वो भी आया जब एकता का 'इंडिया ए' में चयन तो हो गया लेकिन इसके लिए उन्हें मुंबई जाना था और 10 हजार रूपये की जरूरत थी। एकता की मां तारा बिष्ट के अनुसार उस दौरान एकता के कोच (लियाकत अली खां) और उनके देवर ने एकता की मदद की थी।
एकता का चयन के बाद पिता ने चाय की दुकान बंद कर दी
एकता की मां तारा बिष्ट के अनुसार 'हमारे घर की माली हालत तब सुधरी जब एकता का क्रिकेट टीम में चयन हो गया और उसके बाद हमने चाय दुकान भी बंद कर दी'। एकता 2006 में उत्तराखंड महिला टीम की कप्तान बनीं और 2007 से 2010 तक उत्तर प्रदेश टीम की तरफ से खेल चुकी हैं।
टैलेंट के आगे कठिनाइयां कुछ भी नहीं
एकता के कोच लियाकत अली खां के अनुसार एक वक्त ऐसा भी आया जब नेशनल टीम में एंट्री नहीं होने की वजह से कई बार एकता अपना हौसला खो बैठती थी लेकिन मुझे पूरा भरोसा था कि वो एक दिन टीम इंडिया का हिस्सा जरूर बनेगीं। कोच के अनुसार 'एकता ने 2006 से 2010 तक बहुत नेशनल टीम का हिस्सा बनने के लिए बहुत स्ट्रगल किया और मुझे विश्वास था कि एकता के टैलेंट के आगे कठिनाइयां कुछ भी नहीं है।