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हार के बाद कोहली के सामने गंभीर चुनौती, क्या कर पाएंगे खुद को साबित

टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली के सामने खुद को साबित करने की चुनौती, हार के बाद क्या खुद को गंभीर कप्तान के तौर पर कर पाएंगे स्थापित

By Ankur

नई दिल्ली। चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पाकिस्तान के हाथों शर्मनाक हार के बाद भारत के पास फिर से एक मौका होगा कि वह वेस्टइंडीज में अपनी धाक को जमा सके। कप्तान विराट कोहली के सामने चुनौती होगी कि वह एक बार फिर से खुद को साबित करें और टीम की फिर से लय में वापसी कराए। जिस तरह से पाकिस्तान के खिलाफ भारत को हार का सामना करना पड़ा है उसके बाद टीम आलोचकों के निशाने पर है।

इसे भी पढ़ें- आईसीसी वर्ल्ड रैंकिंग में भारत को नुकसान, पाकिस्तान को बड़ा फायदा

आसान नहीं होगा आने वाला समय

आसान नहीं होगा आने वाला समय

भारतीय टीम ने 2017 की शुरुआत बेहतरीन तरीके से की थी और चैंपियंस ट्रॉफी में बेहतरी प्रदर्शन किया था और उसे सिर्फ श्रीलंका के खिलाफ ही हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन फाइनल मैच में हार के बाद टीम कटघरे में आ गई है। लगातार बेहतर प्रदर्शन के बाद फाइनल में हार ने एक सवाल यह भी खड़ा कर दिया है कि क्या अनिल कुंबले बतौर कोच आगे अपना सफर जारी रखेंगे।

कुंबले के भविष्य पर फैसला

कुंबले के भविष्य पर फैसला

माना जा रहा है कि भारत के वेस्टइंडीज दौरे के बाद इस बात का फैसला लिया जाएगा कि कुंबले टीम के कोच बने रहेंगे या नहीं। हालांकि विराट कोहली ने साफ कर दिया है कि उनका कुंबले से कोई मनमुटाव नहीं है, जो लोग हमारे बीच मतभेद की बाते कर रहे हैं उन्हें किसी भी बात की जानकारी नहीं है। हालांकि कोहली ने अपना रुख साफ कर दिया है, लेकिन बावजूद इसके कुंबले के भविष्य पर अभी भी तलवार लटक रही है।

कोच विवाद की चुनौती

कोच विवाद की चुनौती

यह पहली बार नहीं है जब टीम इंडिया के कोच को लेकर विवाद खड़ा हुआ है, इससे पहले जब कोच को लेकर विवाद खड़ा हुआ था तो उस वक्त टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी थे, वर्ष 2007 के विश्व कप के दौरान धोनी की युवा टीम के लिए कोच ग्रैग चैपल बड़ी मुश्किल साबित हुए थे, लेकिन जिस तरह से धोनी की यंग ब्रिगेड ने टी-20 विश्वकप अपने नाम किया था उसने सबको चौंका दिया था।

क्या संभाल पाएंगे कोहली

क्या संभाल पाएंगे कोहली

भारतीय टीम ने इस जीत के बाद कई कीर्तिमान कायम किए, टीम पहले टेस्ट में नंबर एक बनी, इसके बाद विश्वकप का खिताब भी अपने नाम किया। इस लिहाज से देखा जाए तो इस वक्त विराट कोहली धोनी की तुलना में 2007 में बतौर कप्तान कहीं ज्यादा अनुभवी हैं, लेकिन कोहली के सामने जो बड़ी मुश्किल है वह यह कि उन्हें पहली बार बड़ी हार का मुंह देखना पड़ा है, ऐसे में यह देखना अहम होगा कि क्या वह इस स्थिति को संभाल पाते हैं।

मौजूदा परिस्थितोयं में खुद को साबित करने की चुनौती

मौजूदा परिस्थितोयं में खुद को साबित करने की चुनौती

विराट कोहली के लिए यह बड़ी चुनौती है कि क्या वह इस बार खुद को गंभीर कप्तान और खिलाड़ी के तौर पर स्थापित कर पाते हैं। भारत की टीम को अब ज्यादातर सीरीज देश से बाहर खेलनी है, टीम वेस्टइंडीज, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और इंग्लैड में सीरीज खेलेगी। हालांकि पाकिस्तान के हाथों हार के बाद कोहली ने संजीदा बयान देते हुए कहा था कि यह फाइनल मैच है सबको इसका रोमांच है, हम पहले भी जीत चुके हैं, हार भी चुके हैं, हमने उन तमाम मैच से कुछ ना कुछ सीखा है।

कोहली की बड़ी परीक्षा

कोहली की बड़ी परीक्षा

कोहली ने अपनी टीम का बचाव करते हुए कहा था कि उनकी मौजूदा टीम भी आगे बनी रहेगी, वही गेंदबाज खेलने जा रहे हैं, वही बल्लेबाज बैटिंग करने जा रहे हैं, लेकिन जो अहम बात है वह यह कि आप लगातार अनुभव से सीखते हैं, यह टीम के लिए आने वाले समय में काफी अहम है। कोहली के सामने जो सबसे बड़ी चुनौती है वह यह कि कैसे वह विदेश जमीन पर टीम को संजोए रहते हैं और कोच विवाद को बेहतर तरीके से सुलझाते हैं।

Story first published: Monday, November 13, 2017, 11:18 [IST]
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