एक अमेरिकी ने बदली जिंदगी
पुराने दिनों को याद करते हुए पूनम के पिता गणेश बताते हैं, 'हम प्रभादेवी के पास एक झुग्गी में रहते थे। पूनम भारतीय टीम के लिए क्रिकेट खेलने के अपने सपने को पूरा करना चाहती थी लेकिन मेरे पास उस वक्त इतने पैसै नहीं थे। 1999 में मेरे एक अमेरिकन बॉस ने मुझे 10,000 रुपये दिए थे। अगर वो रुपये उस वक्त हमें नहीं मिले होते तो शायद पूनम का सपना कभी पूरा नहीं हुआ होता। उस पैसे से मैंने पूनम के लिए क्रिकेट किट, जूते और मैदान में पहनने वाले कपड़े खरीदे। साथ ही मैंने उसे शिवसेवा स्पोर्टस क्लब में कोच संजय गाइतोंडे के पास भेजना शुरू कर दिया।'
पूनम ने कैसे दिया ट्रायल
पूनम के पिता गणेश ने आगे बताया, '2004 में मेरी मां का निधन हो गया। उसी के अगले दिन पूनम का पहला क्रिकेट ट्रायल था। घर के हालात देखकर पूनम सोट में पड़ गई थी कि मैं उसे अगले दिन ट्रायल के लिए उसे ले जाऊंगा या नहीं। वो चिंतित थी लेकिन जिस मौके का वह पिछले 6 साल से इंतजार कर रही थी वो पल मैं उससे कैसे छिन सकता था। पूनम ने उस दिन मुंबई अंडर-19 के लिए ट्रायल दी और उसका टीम में चयन हो गया।'
'पापा अब ड्राईवर की नौकरी छोड़ दो'
गणेश ने बताया कि टीम में चयन के बाद पूनम ने उनसे कहा, 'पापा अब ड्राईवर की नौकरी छोड़ दो, आराम करो।' 2009 में भारतीय टीम में चयन के बाद पूनम को रेलवे में नौकरी मिल गई। गणेश ने कहा कि मैं बहुत खुश हूं कि मेरी बेटी इस देश के लिए खेल रही है और कुछ अच्छा कर रही है।
महिला विश्व कप क्वालिफायर में नहीं हुआ था चयन
बता दें कि पूनम राउत को महिला विश्व कप क्वालिफायर टूर्नामेंट के दौरान टीम में शामिल नहीं किया था जिससे वो काफी निराश हुईं थी। हालांकि बाद में दक्षिण अफ्रीका में 4 देशों की हुई श्रृखंला में शानदार प्रदर्शन कर उन्होंने विश्व कप टीम में अपना स्थान बनाया। भले ही इंग्लैंड ने मैच जीत लिया लेकिन पूनम की आज की पारी हमेशा याद की जाएगी।