अचानक मिला मौका
एक मीडिया संस्थान को दिए साक्षात्कार में साहा ने कहा कि जिस वक्त दीप दास गुप्ता का आईसीएल से करार हुआ था तो मुझे मौका मिला और मैंने पहले ही मैच में शतक मारकर टीम में अपनी जगह पक्की की थी। वहीं अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अपने पर्दार्पण के बारे में साहा ने कहा कि 2010 में नागपुर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट में मैं टीम में तो था लेकिन प्लेइंग 11 में नहीं था, लेकिन जब वीवीएस लक्ष्मण को इस मैच के दौरान चोट लगी तो उनकी जगह टीम में रोहित शर्मा को जगह मिली लेकिन वह भी नेट प्रेक्टिस के दौरान चोटिल हो गए, यही नहीं इसके बाद भी मुझे टीम का हिस्सा नहीं बनाया गया था, लेकिन टॉस से कुछ देर पहले कप्तान धोनी मेरे पाए और उन्होंने मुझसे कहा कि आप प्लेइंग 11 में हैं।
लगातार अच्छा खेलकर बनाई टीम में जगह
साहा बताते हैं कि इस तरह से मैंने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अपना पहला मैच खेला और इस मैच में मुझे डेल स्टेन और मोर्नी मोर्केल जैसे तेज गेंदबाजों का सामना करना पड़ा। साहा बताते हैं कि घरेलू क्रिकेट के साथ मैंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में बेहतर खेल दिखाया है लिहाजा मुझे उम्मीद है कि आईपीएल में भी मैं बेहतर प्रदर्शन करुंगा।
पिता रहे हैं खिलाड़ी
अपने क्रिकेट के प्रति लगाव के बारे में साहा बताते हैं कि मेरे पिताजी खुद फुटबॉल के खिलाड़ी रहे हैं और उनका क्रिकेट के प्रति लगाव भी था,यही नहीं वह सिलीगुड़ी के लीग मैचों मे विकेटकीपर बल्लेबाज भी रह चुके हैं। ऐसे में मुझे हमेशा से ही क्रिकेट में आने के लिए उनका सहयोग मिलता रहा। साहा बताते हैं कि धोनी के सन्यास लेने के बाद मेरी टीम में जगह पक्की हो गई और मैंने लगातार अच्छा प्रदर्शन करके टीम में अपनी जगह को सुनिश्चित किया।
निकनेम के पीछे भी कहानी
साहा के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में आना जितना रोचक है कुछ उतना ही रोचक उनके निकनेम के पीछे की कहानी भी है। साहा बताते हैं कि बचपन में वह जहां किराए के घर में रहते थे वहां पड़ोस में रहने वाली लड़की उन्हें पपाली कहकर पुकारती थी, जिसके बाद उनके पिता जी का सिलीगुड़ी में तबादला हो गया, लेकिन लोग यहां भी मुझे इसी नाम से पुकारने लगे, मेरा यह नाम आगे चलकर तब और छोटा हो गया जब मेरे दोस्त मुझे पपाली की जगह पोप्स कहकर बुलाने लगे।