18 जून को एकदिवसीय क्रिकेट का एक और रोमांचक महा-मुक़ाबला होने जा रहा है.
ये महा-मुक़ाबला आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी के फ़ाइनल में दो चिर प्रतिद्वंद्वियों भारत और पाकिस्तान के बीच होगा.
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यह पहला मौक़ा होगा जब भारत और पाकिस्तान की टीमें 50 ओवरों वाले आईसीसी के बड़े टूर्नामेंट के फ़ाइनल में आमने-सामने होंगी.
भारत चौथी बार चैम्पियंस ट्रॉफी टूर्नामेंट के फ़ाइनल में पहुंचा है जबकि पाकिस्तान के लिए यह पहला मौक़ा है.
भारत दो बार चैम्पियन भी बन चुका है और इस बार इस टूर्नामेंट के लीग मैच में पाकिस्तान को हरा भी चुका है.
लेकिन पाकिस्तान भी एक मनोवैज्ञानिक लाभ की स्थिति में है क्योंकि चैम्पियंस ट्रॉफी ही आईसीसी का एकमात्र वो टूर्नामेंट है जिसमें पाकिस्तान भारत से कोई मुक़ाबला जीता हो.
आईसीसी टूर्नामेंट्स यानी वर्ल्ड कप, चैम्पियंस ट्रॉफी और वर्ल्ड टी20 में अब तक भारत और पाकिस्तान 15 बार भिड़ चुके हैं. इनमें से दो मौक़ों को छोड़कर अन्य 13 बार भारत ने मैदान मारा है.
केवल दो बार ही पाकिस्तान के हिस्से में जीत आई है और वो भी चैम्पियंस ट्रॉफी के दौरान ही.
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हालांकि एकदिवसीय क्रिकेट की बात करें तो आंकड़े पाकिस्तान के पक्ष में ही दिखते हैं.
अब तक दोनों देशों के बीच खेले गए 128 एकदिवसीय मुकाबलों में पाकिस्तान ने 72 जबकि भारत ने 52 मैच जीते हैं जबकि चार मैचों का नतीजा नहीं निकला.
वर्तमान में बेहद मज़बूत दिख रही भारतीय टीम एकदिवसीय क्रिकेट के शुरुआती दिनों में पाकिस्तान से ज़्यादातर मैच हार जाया करती थी. लेकिन बाद के दशकों में भारत की जीत का आंकड़ा बढ़ता गया.
अगर इन आंकड़ों के नज़रिए से देखें तो फ़ाइनल में पलड़ा कुछ कुछ भारत की ओर झुका हुआ ज़रूर दिखता है.
एक तरफ़ जहां भारत की लंबी बैटिंग लाइन-अप और अनुशासित गेंदबाज़ी इस मुकाबले के लिए तैयार दिख रही है वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान ने भी कमर कस ली है.
लीग मैच में भले ही पाकिस्तानी टीम भारत से 124 रनों के बड़े अंतर से हार चुकी है, लेकिन उसने बाद के दो मुकाबले में जिस तरह वापसी की है उसे नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता.
दक्षिण अफ्रीका को 19 रनों से और फिर श्रीलंका पर 3 विकेट से जीत दर्ज करने के दौरान पाकिस्तान की टीम में बेहद सुधार दिखा.
लेकिन सेमीफ़ाइनल में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ पाकिस्तान ने जो प्रदर्शन किया उसे देखकर भारतीय ख़ेमे को बेहद सचेत रहने की ज़रूरत है.
वजह साफ है, इंग्लैंड के ख़िलाफ़ पहले शानदार गेंदबाज़ी का प्रदर्शन कर केवल 211 रनों पर ऑल आउट कर देना और फिर आसानी से केवल 37.1 ओवरों में लक्ष्य हासिल कर लेना निश्चय ही भारतीय टीम को चिंता में डालने के लिए पर्याप्त है.
ये दोनों टीमें जब-जब आमने सामने होती हैं तब-तब दोनों ही मुल्कों की गलियां अब भी सूनी हो जाती हैं.
भारत पाकिस्तान के बीच क्रिकेट का मुक़ाबला किस क़दर देखा जाता है इसका अंदाज़ा इससे ही लग जाता है कि 2011 वर्ल्ड कप के सेमी-फ़ाइनल को टेलीविज़न पर लगभग 98.8 करोड़ लोगों ने देखा.
वहीं 2015 वर्ल्ड कप के लीग मुक़ाबले की सारी टिकटें 12 मिनट के अंदर बिक गईं थीं.
किसी भी टूर्नामेंट में भारत और पाकिस्तान के क्रिकेट के चाहने वालों की हसरत होती है कि फ़ाइनल इन दोनों ही मुल्कों के बीच खेला जाए. हालांकि हारना इनमें से किसी को पसंद नहीं.
तो आइए हम आपको उन तीन यादगार फ़ाइनल मुकाबले के बारे में बताएं जब भारत और पाकिस्तान की टीमें आमने-सामने थीं.
भारत और पाकिस्तान के बीच 1978 में पहली बार एकदिवसीय मुक़ाबला खेला गया. लेकिन किसी भी एकदिवसीय टूर्नामेंट के फ़ाइनल में भिड़ने का पहली बार मौक़ा आया 8 साल बाद 1985 में. मौक़ा था ऑस्ट्रेलिया में बेंसन एंड हेजेस वर्ल्ड चैम्पियनशिप का फ़ाइनल.
पहले बल्लेबाज़ी करने उतरी पाकिस्तान की टीम ने 50 ओवरों में 9 विकेट के नुक़सान पर 176 रन बनाए. कप्तान जावेद मियांदाद ने सर्वाधिक 48 रन जबकि इमरान ख़ान ने 35 रन बनाए.
भारत की ओर से सभी गेंदबाज़ों ने कसी हुई गेंदबाज़ी की. कपिल देव और शिवरामाकृष्णन ने 3-3 जबकि रवि शास्त्री और चेतन शर्मा ने एक-एक विकेट लिए.
जवाब में भारतीय टीम ने के श्रीकांत के 67 और रवि शास्त्री के नाबाद 63 रनों की बदौलत केवल दो विकेट के नुकसान पर यह लक्ष्य हासिल कर ऐतिहासिक जीत दर्ज की.
यह टूर्नामेंट इसलिए भी यादगार है क्योंकि इसके दौरान भारतीय टीम एक भी मैच नहीं हारी और साथ ही पाकिस्तान को फ़ाइनल में हराने से पहले लीग दौर में भी परास्त किया था.
इसके अगले ही साल यानी 1986 में एक बार फिर भारत और पाकिस्तान की टीमें ऑस्ट्रेलेशिया कप के फ़ाइनल में भिड़ीं.
18 अप्रैल को हुए उस मुकाबले में भारतीय टीम ने गावस्कर और श्रीकांत की पहले विकेट की शतकीय साझेदारी की बदौलत पहले बल्लेबाजी करते हुए 245 रन बनाए.
लक्ष्य का पीछा करने उतरी पाकिस्तानी टीम के विकेट लगातार गिरते रहे लेकिन जावेद मियांदाद एक छोर से टिके रहे और शतक जड़ा.
मैच इस कदर रोमांचक रहा कि इसका फैसला अंतिम गेंद पर आया. तब पाकिस्तान के 9 विकेट गिर चुके थे और आख़िरी गेंद पर जीत के लिए चार रन बनाने थे.
गेंद चेतन शर्मा के हाथों में थी. चेतन ने यॉर्कर फेंकने की कोशिश की जो मियांदाद के बल्ले पर फुलटॉस के रूप में आई और मियांदाद ने अपना बल्ला घुमाया जो सीधे बाउंड्री के पार छक्के के लिए चली गई.
वर्ल्ड टी20 की जीत
इसके बाद इन दोनों ही मुल्कों के बीच तल्ख रिश्तों के बीच किक्रेट करीब-करीब आईसीसी टूर्नामेंट तक ही सिमट कर रह गई और क्रिकेट प्रेमियों को इन दोनों देशों के बीच किसी भी बड़े टूर्नामेंट के फ़ाइनल में खेलते हुए देखने के लिए 21 सालों का लंबा इंतज़ार करना पड़ा.
मौक़ा था पहली बार खेला जा रहा वर्ल्ड टी20 का फ़ाइनल.
महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में भारतीय टीम ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 20 ओवरों में 157 रन बनाए.
104 रनों पर 7 विकेट और फिर 141 पर 9 विकेट गिर जाने के बाद भी मिसबाह-उल-हक़ की बल्लेबाज़ी की बदौलत पाकिस्तानी टीम मैच को अंतिम ओवर तक ले गई.
हालांकि अंतिम ओवर की तीसरी गेंद पर मिसबाह आउट हो गए और भारत वर्ल्ड टी20 का पहला ख़िताब हासिल करने में क़ामयाब हो गया और साथ ही कैप्टन कूल महेंद्र सिंह धोनी के रूप में भारत को मिला अब तक का सबसे सफ़ल क्रिकेट कप्तान.
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