नई दिल्ली। गॉड ऑफ इंडियन क्रिकेट सचिन तेंदुलकर के संन्यास को लेकर तब बहुत सारे सवाल उठने शुरू हो गये थे, जब उनका बल्ला रन नहीं बना रहा था, यही नहीं आलोचकों की जुबान उनकी बुराई करते नहीं थक रहे थे लेकिन साल 2013 में क्रिकेट से संन्यास लेने वाले सचिन तेंदुलकर ने तो साल 2007 में ही संन्यास लेने का मन बना लिया था।
जी हां, हम सही कह रहे हैं क्योंकि इस बात का खुलासा खुद सचिन ने ही किया है। हेडलाइंस टुडे से बात करते हुए सचिन ने कहा कि 2007 में वेस्टइंडीज में हुए विश्व कप से भारत के निराशाजनक तरीके से बाहर होने के बाद वह इतने दुखी हुए कि क्रिकेट से संन्यास लेने के बारे में सोचने लगे थे। भारत को तब ग्रुप मैचों में बांग्लादेश और श्रीलंका से हार का सामना करना पड़ा था। भारत को तब उस विश्व कप के ग्रुप मैच में केवल बरमुडा पर जीत हासिल हो सकी और उसे टूर्नामेंट से बाहर होना पड़ा।
साल 2007 में ही संन्यास लेना चाहते थे सचिन
सचिन भी उस टीम के सदस्य थे और खराब बल्लेबाजी के लिए तब उनकी खूब आलोचना हुई। बांग्लादेश के साथ हुए मैच में सचिन ने सात रन बनाए जबकि श्रीलंका के खिलाफ वह अपना खाता भी नहीं खोल सके। सचिन ने कहा कि मैं उस समय इतना दुखी था कि मैं तुरंत ही संन्यास लेने का ऐलान करना चाहता था लेकिन तब उस समय मेरे बड़े भाई अजीत ने मुझे संभाला और मुझे संन्यास लेने से रोका और उन्होंने ही कहा कि तुम साल 2011 का विश्वकप खेलो।
बड़े भाई अजीत ने मुझे संभाला और समझाया
सचिन ने कहा, "मुझे अभी भी 2007 का विश्व कप याद है जब हम हारकर घर लौटे। मैं अपने प्रदर्शन से इतना निराश था कि संन्यास लेने के बारे में विचार करने लगा। मैंने अपने भाई अजीत को फोन किया और कहा कि मैं क्रिकेट छोड़ना चाहता हूं लेकिन तब अजित ने कहा, "तुम 2011 की कल्पना करो जब तुम वानखेड़े स्टेडियम में खेल रहे होगे।"
विश्वकप जीतने के बाद लगा कि जैसे सारे ख्वाब पूरे हो गये
और हुआ भी ठीक बिल्कुल वैसा ही, सचिन ने कहा कि जब हम विश्वकप जीत गये तो ऐसा लगा कि मेरे सारे सपने पूरे हो गये। उस समय मैं काफी भावुक हो गया था और मेरी आंख में आंसू आ गए। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि वह लम्हा बहुमूल्य था। वह कुछ ऐसा समय था जिसका सपना मैं देखा करता था।