वो इतने महान क्यों हैं?
बात नवंबर 2013 की है, जब सचिन ने अपने करियर का अंतिम टेस्ट मैच खेला, जो कि उनकी जन्मस्थली यानी मुंबई में हुआ था। इस मैच के बाद सचिन ने अपने संक्षिप्त भाषण में बता दिया था कि वो इतने महान क्यों हैं?
तपस्या और निस्वार्थ समर्पण
उनके सधे हुए संक्षिप्त शब्दों के शुक्रिया शब्दों ने यह साबित कर दिया कि एक सचिन तेंदुलकर को बनाने में कितने लोगों का सहयोग और प्रेम है। कितने लोगों की तपस्या और उनके प्रति निस्वार्थ समर्पण है, जिनके कारण आज सचिन रमेश तेंदुलकर एक युग का नाम बन गया है। दौलत, शौहरत तो बहुत लोग कमा लेते हैं लेकिन इज्जत कमाना हर किसी के बस में नहीं होता है इज्जत पाने के लिए इंसान को कई कठिन कर्तव्यों का पालन करना होता है जो कि सचिन ने पिछले 24 साल से क्रिकेट और देश के लिए किया है।
सचिन को द ग्रेट सचिन बनाया
सचिन ने सबसे पहले अपने भरे हुए गले से उन लोगों को थैक्यूं बोला था जिनकी मोहब्बत ने सचिन को द ग्रेट सचिन बनाया।
पापा को किया याद
सचिन ने सबसे पहले अपने स्व. पिता रमेश तेंदुलकर का दिल से धन्यवाद किया और कहा कि अपने पापा की वजह से आज मैं यहां इस मैदान में आपके बीच खड़ा हूं। उनके बिना तो जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। उनके सपोर्ट से ही आज मैं सचिन रमेश तेंदुलकर बन पाया हूं। मुझे पता है कि वह आज मेरे पास नहीं है लेकिन वह जहां भी है मेरे साथ हैं और हमेशा रहेंगे।
मां को बोला थैंक्यू
'मेरी मां ने कभी नहीं जाना कि क्रिकेट क्या चीज है। जहां तक मैं समझता हूं कि मेरे जैसे बच्चे को बड़ा करने में उन्हें काफी पापड़ बेलने पड़े होंगे लेकिन मां हर तरह से मेरे साथ रहीं। मां ने एक खिलाड़ी होने के नाते मेरे स्वास्थ्य और खानपान का पूरा ध्यान रखा। धन्यवाद मां।'
बड़ी बहन सविता, भाई नीतिन और अजीत
सचिन ने कहा कि उनकी बड़ी बहन सविता ने ही उन्हें सबसे पहला बैट गिफ्ट किया था। वह अपनी बहन, उनके परिवार, अपने सबसे बड़े भाई नितिन और अजीत को धन्यवाद देना चाहते हैं। सचिन के मुताबिक उन्होंने अजीत के साथ ही एक क्रिकेट खिलाड़ी बनने का सपना पाला था और इसमें अजीत ने अहम योगदान दिया। सचिन ने कहा कि मैं अजीत से बहुत बहस करता था लेकिन यह अजीत ही है कि उन्होंने मेरे गुस्से और बहस को सहते हुए मुझे मेरे करियर को नई दिशा दी।
पत्नी अंजलि
सचिन ने कहा कि मेरी जिंदगी का सबसे खूबसूरत पल 1991 में आया जब मेरी जिंदंगी में अंजलि पत्नी बनकर आयी। अंजलि डॉक्टर थी लेकिन मेरे क्रिकेट की वजह से और मेरे बच्चों के लिए अंजलि ने अपने करियर को छोड़ दिया, मेरे गुस्से, मेरी नाराजगी को पूरी तरह से झेलते हुए मुझे हर पल संभाला। अंजलि ने परिवार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली और मुझे आजाद कर दिया देश और दुनिया घूमकर क्रिकेट खेलने के लिए। मैं समझता हूं कि अगर अंजलि नहीं होतीं तो मेरा करियर ऐसा नहीं होता। धन्यवाद अंजलि।
बच्चों का धन्यवाद
सचिन ने अपने बच्चों को धन्यवाद दिया। ऐसा करते हुए सचिन अपना भावनाओं पर काबू नहीं रख सके और उन्हें छुपाने के लिए पानी का सहारा लिया। अंजलि भी अपने आंखों से आंसू को नहीं रोक पाईं। सचिन ने कहा कि आज मेरे बच्चे बड़े हो गये हैं। सारा 16 की और अर्जुन 14 साल का हो गया है लेकिन इन्होंने कभी भी मुझसे शिकायत नहीं की, क्योंकि मैं इन्हें समय नहीं दे पाता था। उनके बर्थडे और स्कूल फंक्शन में नहीं पहुंच पाता था लेकिन कभी सारा-अर्जुन ने मुझे नहीं रोका। मैं आज आपसे वादा करता हूं कि आने वाले 16 और 14 साल तक मैं हर वक्त आपके साथ रहूंगा।
कोच अचरेकर, दोस्त, मुम्बई क्रिकेट संघ, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड, मीडिया
सचिन ने अपने कोच रमाकांत अचरेकर का दिल से धन्यवाद दिया कहा कि गुरू बिना शिष्य अधूरा है। सचिन ने अपनो दोस्तों का भी दिल से शुक्रिया अदा किया। सचिन ने मुम्बई क्रिकेट संघ, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड, मीडिया (प्रिंट इलेक्ट्रानिक एवं फोटोग्राफरों), चयनकर्ताओं, फिजियो, ट्रेनरों और तमाम टीम सहयोगियों को धन्यवाद दिया। इसी दौरान स्टेडियम की बड़ी स्क्रीन पर राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण और सौरव गांगुली को दिखाया गया, तब सचिन ने कहा कि आज की उनकी टीम और इन तीनों के बगैर वह अपने करियर को इस रूप में नहीं सोच सकते थे।
राहुल, सौरव और लक्ष्मण और अनिल
सचिन ने कहा, "राहुल, सौरव और लक्ष्मण मेरे लम्बे समय के साथी रहे हैं। आज अनिल (कुम्बले) यहां नहीं हैं लेकिन मैंने इन सबके साथ शानदार वक्त बिताया है। मैं इतना कहना चाहता हूं कि हम सबको भारत के लिए खेलने का मौका मिला और हमें इसके लिए ईश्वर का धन्यवाद करना चाहिए क्योंकि ईश्वर ने हमें इस खास काम के लिए चुना है।"
कप्तान धोनी, बीसीसीआई का धन्यवाद
सचिन ने कप्तान धोनी औऱ पूरी टीम का दिल से धन्यवाद दिया औऱ बीसीसीआई एसो. को दिल से शुक्रिया बोला कि उसने मेरे करियर को एक सक्रिय दिशा दी। सचिन ने इस मौके पर अपने पहले मैनेजर मार्क को भी याद किया था और धन्यवाद दिया और कहा कि वो नहीं होते तो सचिन इतना लंबा नहीं खेल पाता। अपने मैनेजर विनोद नायडू को भी थैंक्यू बोलते हुए सचिन ने कहा कि मुझे पता है कि मेरे लिए आपने अपने परिवार को छोड़ा जो कि आसान नहीं है।
शायद सचिन, सचिन नहीं होता...
और अंत में सचिन ने देश के सभी देशवासियों, स्टेडियम में मौजदू लोगों का शु्क्रिया अदा किया और कहा कि दोस्तों आपका प्यार और हौसला नहीं होता तो शायद सचिन, सचिन नहीं होता, इसलिए थैंक्यू थैक्यू एंड थैंक्यू। आपको बता दूं कि समय खत्म हो जाता है लेकिन यादें कभी भी खत्म नही होतीं। मेरे कानों में हमेशा एक आवाज गूंजती रहेगी.. सचिन, सचिन। इसके बाद फिर से वानखेड़े स्टेडियम में फिर से सचिन, सचिन की आावाज गूंजने लगी। इसके बाद सचिन ने विराट कोहली के कंधे पर बैठकर भारतीय टीम के अपने साथियों के साथ तिरंगा हाथ में लेकर मैदान का चक्कर लगाया और फिर हमेशा के लिए क्रिकेट को बॉय-बॉय बोल दिया।