नयी दिल्ली (ब्यूरो)। मोहब्बत को देश की सरहदें नहीं रोक सकतीं। ना 'वीर' को 'जारा' से मिलने पर और ना ही साउथ अफ्रीका के लेग स्पिनर इमरान ताहिर को सुमैय्या दिलदार से मिलने पर। जी हां मोहब्बत इंसान से क्या ना करवा दे तभी तो कहते हैं ये इश्क नहीं आसां... इक आग का दरिया और डूब के जाना है। आईए आपको इमरान ताहिर की कहानी बताते है जो अपनी मोहब्बत की तलाश में सरहदों की बंदिशें पार कर पाकिस्तान से साउथ अफ्रीका पहुंच गये।
इमरान ने बताया कि साउथ अफ्रीका में शुरु के साल संघर्ष से भरे रहे। उस वक्त उनके दोस्त और अफ्रिका के घरेलू टीम के प्लेयर गुलाम बोदी से उन्हें बहुत सहयोग मिला। काफी मेहनत के बाद ताहिर ने घरेलू क्रिकेट खेलना शुरु किया। मेहनत और लगातार अच्छा प्रदर्शन का इलाम उन्हें 2011 में मिला जब पहली बार उन्हें साउथ अफ्रीका के लिए खेलने का मौका मिला। शुरु में ताहिर को टेस्ट स्पेशलिस्ट बॉलर के रूप में देखा जा रहा था लेकिन मेहनत के बल पर उन्होंने वनडे टीम में जगह बनाई और सफल भी रहे। सुमैय्या से शादी के बाद इमरान ताहिर को एक बेटा है जिसका नाम गिबरान रखा है।