आते ही हिट हुआ मिनी वर्ल्डकप
90 के दशक में क्रिकेट की लोकप्रियता धीरे-धीरे बढ़ने लगी थी। भारत जैसे देश में क्रिकेट खिलाड़ी एक 'भगवान' और यह खेल धर्म बन चुका था। वर्ल्ड कप क्रिकेट का सबसे बड़ा आयोजन होता था लेकिन बदलते समय के साथ 'मिनी वर्ल्ड' कप का उद्भव हुआ और यह सभी क्रिकेट खेलने वाले देशों में लोकप्रिय हुआ। आइए आज हम आपको बताते हैं उन क्रिकेट रिकॉर्ड के बारे में जो इस खेल के स्वर्णिम इतिहास में दर्ज हो चुके हैं और जो काफी दिलचस्प हैं।
कब और कैसे बदला प्रारूप और नाम
आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी की शुरुआत 1998/99 में हुई। तब इसे 'विल्स इंटरनेशनल कप' नाम दिया गया था. उस समय क्रिकेट के विकास और छोटे देशों में क्रिकेट से कमाई के एक जरिए के रूप में इसे शुरू किया गया था और बाद में इसकी लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि इसे मिनी वर्ल्ड कप के नाम से जाना जाने लगा। 50 ओवर के इस प्रारूप का आयोजन (2006/07 तक ) पहले हर दो साल में एक बार होता था जिसे बाद में क्रिकेट के 'ओवरडोज' और बांकी देशों की व्यस्तता की वजह से 2006/07 के बाद 4 साल में एक बार कर दिया गया। शुरुआती दौर में इसे 'आईसीसी नॉकआउट चैंपियनशिप' कहा जाता था। एक भी मैच हारने वाली इस प्रतिस्पर्धा से बाहर हो जाती थी लेकिन बदलते समय के साथ इसके नियम में बदलाव हुआ जिसे और भी दिलचस्प बनाया गया।
साउथ अफ्रीका यहां नहीं बनी 'चोकर्स'
दक्षिण अफ्रीका को अक्सर बड़े मैच का 'चोकर्स' कहा जाता है लेकिन ICC की यह इकलौती प्रतियोगिता है जिसके पहले आयोजन में ही प्रोटियास की टीम ने (1998/99) चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। 2000/01 में न्यूजीलैंड, 2002/03 में भारत-श्रीलंका, 2004 में वेस्टइंडीज, 2006/07 और 2009/10 में ऑस्ट्रेलिया दो बार लगातार और 2013 में भारत विजेता बनी। इंग्लैंड एकमात्र ऐसी टीम है जो दो बार फाइनल में पहुंचने के बावजूद एक बार भी यह टूर्नामेंट नहीं जीत पाई है। पाकिस्तान इस खेल के सेमीफाइनल में तीन बार पहुंचने वाली इकलौती टीम है। 2006 के बाद पहली बार बांग्लादेश इस टूर्नामेंट का हिस्सा बनी है। टीम इंडिया अभी डिफेंडिंग चैंपियन है और इस खिताब को जीतने की प्रबल दावेदार मानी जा रही है।
छोटे देश में शुरू हुआ आयोजन
वर्ल्ड कप जैसी प्रतोयोगिता की अपार सफलता के बाद क्रिकेट के ऐसे चैंपियनशिप की तलाश थी जो कम दिनों में बेस्ट टीम के बीच खेली जा सके। ICC ने इस खेल को लोकप्रिय और छोटे क्रिकेट बोर्ड को धनी बनाने के लिए पहले इसका आयोजन छोटे देशों में शुरू किया। पहली बार (1998) इस प्रतिस्पर्धा का आयोजन केन्या में हुआ क्योंकि ये देश कमाई के लिहाज सबसे गरीब बोर्ड थे। यह एक ऐसा टूर्नामेंट है जिसमें नीदरलैंड, केन्या और यूनाइटेड स्टेट भी खेल चुके हैं। धीरे-धीरे यह खेल लोकप्रिय हुआ और फिर इसके आयोजन के लिए बड़े देशों का रूख किया गया।
इस चैंपियनशिप का कौन है 'बॉस'
ICC चैंपियंस ट्रॉफी में कई ऐसे खिलाड़ी हैं जिनका जलवा आज भी कायम है, कई ऐसे रिकॉर्ड जो आज भी स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हैं। ज़िम्बाब्वे के एलेस्टेयर कैम्बेल ने इस टूर्नामेंट में 24 अक्टूबर 1998 को जड़ा था पहला शतक, वो 100 रन बनाकर आउट हो गए थे। गेंदबाजी की बात करें तो न्यूजीलैंड के तेज गेंदबाज काइल मिल्स ने 15 मैच में सबसे अधिक 28 विकेट झटके हैं और शीर्ष पर काबिज हैं। यूनिवर्स बॉस क्रिस गेल का बल्ला यहां भी खूब बोला है उन्होंने 17 मैच में सबसे अधिक 791 रन बनाए हैं। टीम इंडिया इस प्रतिस्पर्धा में बांकी टीमों की तुलना में सबसे अधिक मैच जीती है। उनके जीत का प्रतिशत सबसे बेस्ट है.भारतीय टीम का जीत प्रतिशत 71.42 है।
श्रीलंका के हरफनमौला खिलाड़ी कुमार संगकारा एक ऐसे विकेटकीपर हैं जिनके नाम 22 मैच में सबसे अधिक 33 डिसमिसल (स्टंप और कैच) दर्ज हैं।श्रीलंका के ही स्टाइलिश खिलाड़ी महेला जयवर्धने के नाम सबसे अधिक 22 मैच में 15 कैच हैं। टीम इंडिया के दादा (सौरव गांगुली) ने इस प्रतोयोगिता में गेंदबाजों की जमकर धुनाई की है, वो एक मात्र ऐसे खिलाड़ी हैं जिनके नाम 6 बार 50 से अधिक रन बनाने का रिकॉर्ड दर्ज है। ऑस्ट्रेलिया के धाकड़ ऑल राउंडर शेन वाटसन एक मात्र ऐसे खिलाड़ी हैं जो सर्वाधिक 15 पारियों में 4 बार शून्य पर आउट हुए हैं।दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टीम इंडिया का 331/7 इस चैंपियनशिप का सर्वाधिक स्कोर है।
वीरेंद्र सहवाग हैं एक पारी में बाउंड्री के 'बाहुबली'
टीम इंडिया के सबसे धाकड़ बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग एक पारी में सबसे अधिक बाउंड्री लगाने में 'बाहुबली' साबित हुए हैं। कोलंबो में 22 सितम्बर 2002 को खेले गए मुकाबले में वीरू ने इंग्लैंड के खिलाफ धुआंधार बल्लेबाजी करते हुए एक पारी में सबसे अधिक बाउंड्री लगाने का रिकॉर्ड दर्ज किया। उन्होंने 104 गेंदों में ताबड़तोड़ 126 रनों की पारी खेली थी जिसमें 24 चौके और एक छक्का शामिल था। उन्होंने अपने स्कोर का 92 रन सिर्फ बाउंड्री से बनाया था। दूसरे छोड़ पर 'दादा' ने भी अपनी बल्लेबाजी का दम दिखाते हुए 12 चौके और 3 छक्के की मदद से नाबाद 109 रनों की पारी खेली और टीम इंडिया ने इंग्लैंड को 8 विकेट से पराजित किया था।
ऑस्ट्रेलिया लगातार दो बार बनी चैंपियन
खेल के इस प्रारूप की लोकप्रियता बढ़ने से पहले इसे केन्या और बांग्लादेश जैसी जगहों पर आयोजित किया गया और इसके बाद इस चैंपियनशिप को बड़े देशों की ओर ले जाया गया। 19 साल से चले आ रही इस प्रतिस्पर्धा में अब तक 13 देशों ने हिस्सा लिया है और 6 अलग-अलग टीम विजेता बन चुकी हैं। ऑस्ट्रेलिया और भारत ने 2 बार इस खिताब को जीतने में सफलता पाई है। ऑस्ट्रेलिया ने 2006-07 और 2009/10 में इस खिताब पर कब्जा जमाया।
घर में 'शेर' बनी श्रीलंका
श्रीलंका एक मात्र ऐसी टीम है जिसने इस चैंपियनशिप की मेजबानी की और अपने घरेलू मैदान पर यह खिताब भी जीता। इस खिताब को दुनिया की 6 अलग-अलग टीमों ने जीता है लेकिन श्रीलंका के अलावा कोई भी टीम घर में खेलते हुए जीत दर्ज नहीं कर पाई है। इसे संयोग कहें या कुछ और लेकिन इस बार (2017) वेस्टइंडीज इस चैंपियनशिप में क्वालिफाई नहीं कर पाई है। भारतीय क्रिकेट फैंस के लिए खुशी की बात यह है कि अगली बार यह आयोजन भारत में किया जाएगा।
चैंपियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान का पलड़ा भारी
ICC चैंपियंस ट्रॉफी में भारत अपने चिरप्रतिद्वंदी पाकिस्तान से पहला मुकाबला 4 जून को खेलेगा। अगर आंकड़ों की तरफ ध्यान दें तो पाकिस्तान वर्ल्ड कप और बड़े टूर्नामेंट में भारत से कभी जीत नहीं पाया है लेकिन 50 ओवर के इस प्रारूप में पाक का पलड़ा भारी है। अब तक चैंपियंस ट्रॉफी में भारत-पाकिस्तान के तीन मुकाबले में पाकिस्तान को 2 में जीत मिली है और एक में हार।
हालांकि विराट ने पाकिस्तान के साथ स्पर्धा को महज एक आम मैच की तरह खेलने की बात कही है लेकिन देश के करोड़ों दर्शक के लिए ऐसे मैच बहुत अहम होते हैं। अगर वर्ल्ड कप की बात करें तो आज तक पाकिस्तान किसी भी मैच में भारत को नहीं हरा पाया है।
चैंपियंस ट्रॉफी में पहली बार एक ही टीम को सभी अवार्ड
ICC चैंपियंस ट्रॉफी में टीम इंडिया डिफेंडिंग चैंपियन की हैसियत से खेलेगी। साल 2013 में महेंद्र सिंह धोनी की अगुआई वाली टीम ने खेल के सभी क्षेत्रों में शानदार प्रदर्शन करते हुए इस कप पर कब्जा जमाया था। यह पहला मौका था जब एक ही टीम की झोली में चैंपियनशिप के सभी अवार्ड आए थे। फाइनल में रविंद्र जडेजा मैन ऑफ द मैच बने, शिखर धवन ने सबसे अधिक 363 रन बनाकर मैन ऑफ द सीरीज का खिताब अपने नाम किया। जडेजा ने सबसे अधिक विकेट झटकने का काम किया और टीम इंडिया विजेता बनकर स्वदेश लौटी थी।
एक क्रिकेट प्रशंसक के रूप में हम सब की दुआएं टीम इंडिया के साथ हैं और उम्मीद है कि विराट के यंग आर्मी के आक्रोश और धोनी, युवी जैसे अनुभवी खिलाड़ियों के तजुर्बे इस टाइटल को डिफेंड करने में काम आएंगे।