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IPL में 4000 करोड़ रुपए की सट्टेबाजी का काला सच, जानिये सट्टेबाज की जुबानी

नई दिल्ली। आईपीएल से सट्टेबाजी की दाग दूर होने का नाम नहीं ले रहा है। ईडी की हाल ही में की गयी जांच में आईपीएल में सट्टेबाजी को लेकर कई चौकाने वाले मामले सामने आये हैं। साल दर साल आईपीएल में सट्टेबाजी बढ़ती ही जा रही है लेकिन इसपर लगाम नहीं लग पा रही है।[जानिये कैसे हनीट्रैप से हो रही सट्टेबाजी में लिप्त खिलाड़ियों की धरपकड़]

सट्टेबाजों ने सभी कार्यवाहियों को धता बताते हुए सट्टेबाजी का अपना घिनौना खेल जारी रखा है। इसकी अहम वजह है कि सट्टेबाजी का व्यापार तकरीबन 4000 करोड़ रुपए का है। ऐसे में सट्टेबाज हर कीमत पर कोई भी जोखिम लेने के लिए तैयार हैं।

वहीं वनइंडिया ने एक सट्टेबाज से बातचीत कि लेकिन उसने यह इच्छा जाहिर की कि उसका नाम नहीं छापा जाए। इस बातचीत के दौरान सट्टेबाज ने बताया कि सट्टेबाजी में हर साल बहुत ज्यादा पैसा लगाया जा रहा है जिसके चलते आने वाले सालों में इस पर लगाम नहीं लगने वाली है।

आईपीएल और टी-20 है सबसे बेहतर विकल्प

सट्टेबाज ने बताया कि मैच के दौरान फिक्सिंग भी होती है लेकिन बहुत कम ही ऐसा होता है कि पूरा का पूरा मैच ही फिक्स हो। उसने बताया कि यह काफी मुश्किल काम होता है कि पूरा मैच फिक्स हो सके क्योंकि इसके लिए पूरी टीम और टीम मैनेंजमेंट भी शामिल होता है। ऐसे में दो या तीन खिलाड़ियों पर दांव लगाकर ही सट्टेबाजी का बड़ा बाजार चलता है।

सट्टेबाज ने बताया कि स्पॉट फिक्सिंग भी छोटे मैचों के लिए बहुत अहम होते हैं। स्पॉट फिक्सिंग के लिए टी-20 सबसे बेहतरीन विकल्प है क्योंकि फैसले तुरंत आते हैं और जल्दी-जल्दी लोग दांव लगाते हैं ऐसे मौके पर।

कितने रन बनेंगे और कितने विकेट गिरेंगे होत है पहले से तय

उसने बताया कि फिक्सिंग का पूरा कारोबार दुबई से संचालित होता है और वो अपने तरफ मैच का रुख मोड़ने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। सट्टेबाज ने बताया कि दुबई में बैठे लोग इस बात का फैसला करते हैं कि किस सेशन में कितने रन बनेंगे और कितने विकेट गिरेंगे। सेशन के दौरान गिरे विकेट और रन पर सट्टेबाजी का बड़ा दांव लगाया जाता है। यही नहीं टी-20 जैसा छोटा फॉर्मेट ही सट्टेबाजों के लिए सबसे ज्यादा मददगार होता है।

वहीं सट्टेबाज का कहना है कि बहुत ही कम ऐसे मौके होते हैं जब 50 ओवर के मैच में सट्टेबाजी हो। उसने बताया कि विश्वकप के मैचों में ही सबसे ज्यादा दांव एकदिवसीय मैचों में लगाये जाते हैं।

छोटे मोहरे के तौर पर इस्तेमाल होता है बुकीज का

ईडी ने हाल ही में जिन सट्टेबाजों को गिरफ्तार किया है उनसे पूछताछ के दौरान यह बात निकलकर सामने आयी है कि इन सट्टेबाजों को अपने आका के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है। विदेशों से सिर्फ इन्हें निर्देश मिलते हैं जिनके आधार पर यह पैसा दांव पर लगाते हैं।

सट्टेबाजी के दो प्रमुख ठिकाने दिल्ली और दुबई हैं और दोनों ही ठिकाने पर बैठे बड़े सट्टेबाज एक दूसरे के संपर्क में रहते हैं हालांकि वो आपस में एक दूसरे की पहचान को साझा नहीं करते हैं।

Story first published: Monday, November 13, 2017, 11:12 [IST]
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