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सिंधू के कोच गोपीचंद ने बताया - एकेडमी खोलने में मदद के लिए तीन दिन बैठा रहा कमरे के बाहर

By Rahul Sankrityayan

नई दिल्ली। साइना नेहवाल और पीवी सिंधू के बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद ने कहा है कि वो सौभाग्यशाली थे कि उन्होंने अच्छी पढ़ाई नहीं थी।

उन्होंने कहा कि मैं और मेरा भाई दोनों खेलते ते। वो खेल में बहुत अच्छा था और मैं अब यह महसूस करता हूं कि मैं सौभाग्यशाली था कि मैं पढ़ाई में अच्छा नहीं था।'

जब सेमीफाइनल में पिछड़ रही थी सिंधु, तो कोच ने कान में क्या कहा?जब सेमीफाइनल में पिछड़ रही थी सिंधु, तो कोच ने कान में क्या कहा?

गोपीचंद ने बताया कि 'उनके भाई स्टेट चैंपियन थे। उन्होंने आईआईटी इग्जाम दिया और पास हो गए। आईआईटी गए और उन्होंने खेलना बंद कर दिया।'

मैंने भी दी थी परीक्षा

उन्होंने बताया कि 'मैंने भी इंजनियरिंग की परीक्षा दी और फेल हो गया। मैंने स्पोर्स्ट्स जारी रखा। ये वो जगह है जहां मैं खड़ा हूं। मैं सोचता हूं कि किसी चीज पर फोकस रहना चाहिए और यह कभी सौभाग्यशाली साबित हो जाता है।'

सिंधु, साक्षी और दीपा को भारत रत्न सचिन ने गिफ्ट कीं BMW कारसिंधु, साक्षी और दीपा को भारत रत्न सचिन ने गिफ्ट कीं BMW कार

बता दें कि गोपीचंद दूसरे शख्स हैं जिन्होंने आल इंग्लैंड टाइटल 2001 में जीता और उसके बाद उन्होंने अपनी एकेडमी खोलने का फैसला लिया। हालांकि एकेडमी खोलने का उनका फैसला आसान नहीं था।

जब वो लोगों से मदद मांगने जाते थे तो लोग उन्हें अनसुना कर देते थे।

तीन दिन लगातार करना पड़ा इंतजार

एक वाकया बताते हुए गोपीचंद ने कहा कि 'मुझे याद है कि कुछ साल पहले मैं पीएसयू गया था। मुझे तीन दिन लगातार कमरे के बाहर इंतजार करना पड़ा जब उन्होंने मुझसे बैडमिंटन में मदद करने के लिए कहा था।

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गोपीचंद बताते हैं कि 'मैंने सुबह के 9 बजे से शाम के 5.30 बजे तक तीन दिन इंतजार किया और उसके बाद एक उच्च अधिकारी आया और उसने कहा कि बैडमिंटन पर दुनिया की निगाह नहीं है।'

उन्होंने बताया कि 'ये वो आखिरी दिन था जब मैं किसी के पास मदद के लिए गया। उसी रात मैं घर वापस आया और अपना घर गिरवी रखा। इस तरह से मेरी एकेडमी शुरू हुई।'

25 बच्चों के साथ हुई एकेडमी की शुरूआत

गोपीचंद ने बताया कि उन्होंने 2004 में 25 बच्चों के साथ एकेडमी की शुरूआत की। जिसमें 8 वर्ष की सिंधू सबसे छोटी थीं और 15 वर्षीय पी कश्यप सबसे बड़े।

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गोपी बताते हैं कि 'जब मैंने कोचिंग शुरू किया तो मेरा सपना था कि एक दिन ओलंपिक मेडल मिलेगा। मैं यह नहीं जानता था कि यह दिन इतना जल्दी 2012 में ही आएगा, जब हम अपना पहला मेडल जीतेंगे।'

गोपीचंद ने कहा कि 'मैं अब रिटायर होने की सोच रहा हूं क्योंकि मैंने जो उद्देश्य सोचा था वो पूरे हो चुके हैं।' गोपीचंद ने यह भी कहा कि कुछ लोगों ने उनके बहुत बुरा व्यवहार किया लेकिन वो उनका शुक्रिया अदा करते हैं जिन्होंने उनका साथ दिया।

Story first published: Tuesday, November 14, 2017, 12:14 [IST]
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