दुबई| कहते हैं ना आलोचना कभी-कभी किसी के लिए सफलता की कुंजि बन जाती है और यही हुआ मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के साथ, जिन्होंने अपने एक आर्टिकल में खुलासा किया है कि आईसीसी विश्व कप-2007 की नाकामी ने ही उन्हें साल आईसीसी विश्व कप-2011 जीतने में मदद की थी।
आपको बता दें कि आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की संयुक्त मेजबानी में 14 फरवरी, 2015 से शुरू हो रहे विश्व कप के ब्रांड एंबेसडर तेंदुलकर ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के लिए अपने एक लेख में यह खुलासा किया।
साल 2007 की नाकामी ने हमें विश्वकप 2011 जीताया
अपने आर्टिकल में सचिन ने लिखा है कि साल 2007 विश्वकप के पहले दौर में इंडिया का बाहर हो जाना उनके करियर का सबसे बड़ा दाग है। लेकिन 2007 के टूर्नामेंट की नाकामी ने मुझे नई शक्ति प्रदान की। वह मेरा सबसे खराब विश्व कप रहा। वह मेरे क्रिकेट करियर का भी सबसे खराब पल रहा। हमारी टीम अच्छी थी लेकिन हम अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर सके। इस प्रकार विश्व कप विजेता टीम का सदस्य बनने की मेरी भूख भी जारी रही जिसने मुझे हर पल केवल यही कहा कि हम मेहनत कर सकते हैं और साल 2011 का विश्वकप जीत सकते हैं और वो हो गया।
सचिन तेंदुलकर होंगे आईसीसी विश्वकप 2015 के ब्रांड एंबेसडर
तेंदुलकर ने लिखा है , "मुझे 2009 की वह बात याद है जब मैंने मीडिया से कहा था कि हम विश्व कप-2011 जीतने के बारे में सोच रहे हैं। विश्व कप टूर्नामेंट की शुरुआत में हमने अपने प्रदर्शन से प्रशंसकों को थोड़ा चिंतित किया लेकिन क्वार्टर फाइनल में प्रवेश करने में कामयाब रहे।"
तेंदुलकर के मुताबिक अपनी धरती पर विश्वविजेता बनना अपने आप में ही काफी खास था और इसलिए मेरे करियर का यह सबसे सुनहरा पल है, तेंदुलकर के अनुसार यह खास इसलिए भी रहा क्योंकि 22 साल के सफर के बाद वह विश्व कप विजेता टीम का हिस्सा बने।
सचिन ने अपने लेख में 1987 का विश्व कप भी याद किया जिसमें उन्होंने एक बॉल ब्वॉय की भूमिका निभाई थी तो वहीं उन्होंने अपने लेख में साल 1999 का विश्व कप का भी जिक्र किया है जिसके दौरान उनके पिता का निधन हो गया था और वो विश्वकप के बीच में घर आये थे। वो पल भी सचिन के सबसे मुश्किव वक्त में से एक है।