एंबुलेंस के लिए नहीं था रास्ता, गर्भवती को कंधे पर उठाकर तीन घंटे पैदल चले जवान, पहुंचाया अस्पताल
अस्पताल के डॉक्टरों ने जवानों की तारीफ करते हुए कहा कि अगर और देर होती या घर पर ही सुबह होने का इंतजार किया जाता तो कामिनी की जान जा सकती थी।
शिमला। बर्फबारी के कारण सड़क बंद होने के कारण एंबुलेंस ना पहुंचने पर जब गर्भवती महिला दर्द से बुरी तरह कराह रही थी तो पुलिस के छह जवानों ने इंसानियत की मिसाल कायम की। जवानों ने बर्फबारी के बीच साढ़े तीन घंटे पैदल चलकर गर्भवती महिला को अस्पताल पहुंचाया। महिला की कुर्सी पर बैठाकर, कुर्सी को जवानों ने कंधे पर उठा लिया। जवानों ने पैदल 10 किमी की दूरी तय की।
शिमला के भराड़ी पुलिस लाइन के पास भौंट पंचायत क्षेत्र में रहने वाली कामिनी को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। कामिनी के साथ घर पर सिर्फ उसकी मां ही मौजूद थी, उसका पति और परिवार के दूसरे लोग घर पर नहीं थे। दर्द बढ़ने पर एंबुलेंस को फोन किया गया लेकिन बर्फबारी की वजह से रास्ते बंद थे, तो ऐसे में एंबुलेंस नहीं आ सकी। दूसरी तरफ शाम के कारण अंधेरा भी हो गया था। तो इससे भी कामिनी और उसकी मां की उम्मीदें टूटने लगीं। जब कामिनी की को लगा कि उसकी बेटी आज कहीं किसी अनहोनी की शिकार ना हो जाए तो ऐसे में फरिश्ते की तरह आए भराड़ी पुलिस लाइन के छह जवान, जिन्होंने कामिनी को अस्पताल ले जाने की बात कही।
सवाल
ये
था
कि
गाड़ी
आ
नहीं
सकती
क्योंकि
बर्फबारी
की
वजह
से
पैदल
चलना
ही
दूभर
है,
तो
ऐसे
में
क्या
किया
जाए।
इसका
हल
निकाला
गया।
कामिनी
को
कंबल
ओढाकर
एक
कुर्सी
पर
बैठाया
गया
और
कुर्सी
के
दोनों
हत्थों
को
बल्लियों
से
बांधा
गया।
इन
बल्लियों
को
उठाकर
जवानों
ने
कंधे
पर
रख
लिया
और
साढ़े
तीन
घंटे
तक
चलकर
करीब
9:30
बजे
कामिनी
को
दस
किमी
दूर
भौंट
के
केएनएच
अस्पताल
पहुंचाया।
अस्पताल
के
डॉक्टरों
ने
जवानों
की
तारीफ
करते
हुए
कहा
कि
अगर
घर
पर
ही
अगली
सुबह
होने
का
इंतजार
किया
जाता
तो
कामिनी
की
जान
जा
सकती
थी।
जवानों
के
नाम
रवि,
पुनीत,
देवेंद्र,
सुनील
और
शिवकांत
हैं।
आपको
बता
दें
कि
शिमला
में
इन
दिनों
जमकर
बर्फबारी
हो
रही
है।
बर्फबारी
की
वजह
से
रास्ते
बंद
हो
जाने
की
वजह
से
स्थानीय
लोगों
को
काफी
परेशानी
का
सामना
करना
पड़
रह
है।
पढ़ें-
हिमाचल
में
भारी
बर्फबारी,
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और
बिजली
बहाली
के
लिए
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