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यहां मिड डे मील के बजाए चूहे, खरगोश और पक्षी खाते हैं बच्‍चे

झारखंड के राजगढ़ में स्थित बच्‍चों के साथ कुछ ऐसा होता है कि जिसे जानकर आप सन्‍न रह जाएंगे।

By Sachin Yadav
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रांची। केंद्र सरकार प्राथमिक शिक्षा के जरिए देश के बच्‍चों को जोड़ने के लिए मिड डे मील की सुविधा बच्‍चों को देती है। पर झारखंड के राजगढ़ में स्थित बच्‍चों के साथ कुछ ऐसा होता है कि जिसे जानकर आप सन्‍न रह जाएंगे। झारखंड के राजगढ़ की पहाड़ियों पर एक इलाका ऐसा भी है जहां के बच्‍चों को मिड डे मील ही नसीब नहीं है। यहां के बच्‍चे मिड डे मिल के बजाय चूहे, खरगोश और पक्षी खाते हैं। इस बात का खुलासा एनटीडीवी की एक रिपोर्ट में हुआ है। चैनल ने बताया कि जब राजगढ़ के पहाड़ी इलाकों का जायजा लिया तो यह हकीकत सामने आई।

यहां मिड डे मील के बजाए चूहे, खरगोश और पक्षी खाते हैं बच्‍चे

राजगढ़ के स्कूलों की हालत बहुत खराब है। स्कूलों से शिक्षक नहीं और कक्षाओं में ताले लगे हुए हैं। कई बार तो शिक्षक साल में एक-दो बार ही स्कूल आते हैं। स्‍कूल के मासूम बच्चे संक्रमित खान-पान के चलते बीमार भी पड़ रहे हैं। प्राथमिक स्‍कूल में शिक्षक नहीं है तो मिड डे मील भी नहीं बन रहा है और न ही वो बच्‍चों तक पहुंच पा रहा है।

यहां मिड डे मील के बजाए चूहे, खरगोश और पक्षी खाते हैं बच्‍चे

आपको बताते चले कि मजबूरन बच्‍चों को खरगोश, चूहे और पक्षी का शिकार करना पड़ता है और फिर वो बनाकर खाते हैं। इन बच्‍चों का यही मिड डे मील है। झारखंड के इस इलाके की हालत बहुत ही खतरनाक है और हकीकत कुछ और। इससे पहले यह रिपोर्ट आई थी कि मिड डे मील में आधार नंबर को अब बच्‍चों के लिए लागू करने जा रही है। इस योजना का सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ा था।

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English summary
No Mid-Day Meals In Jharkhand Villages, Children Eat Rats, Rabbits
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