वो जगह जहां एक ही छत के नीचे होती है नमाज और मंदिर में पूजा
अलवर की मोती डूंगरी पहाड़ी पर स्थित सैय्यद दरबार और संकट मोचन वीर हनुमान मंदिर पर दोनों धर्मों के लोग एक ही छत के नीचे नमाज और पूजा करते हैं।
नई दिल्ली। राजस्थान का अलवर जिला हाल ही में कथित गौरक्षकों के हमले में मारे गए पहलू खान की वजह से काफी चर्चा में रहा है। लेकिन इस जिले में एक ऐसी जगह है जो इस घटना के बाद से ज्यादा चर्चा में आ गई है। अलवर की मोती डूंगरी पहाड़ी पर स्थित सैय्यद दरबार और संकट मोचन वीर हनुमान मंदिर पर दोनों धर्मों के लोग एक ही छत के नीचे नमाज और पूजा करते हैं।
पहाड़ी पर दोनों धर्मों के लोग आते हैं। मंदिर और दरगाह के बीच किसी तरह की बाउंड्री नहीं है। यहां गुरुवार को जैसे ही भजन खत्म होते हैं उसी माइक और लाउड स्पीकर पर हारमोनियम और ढोलक के साथ कव्वाली होती है। वहां भगवा और हरा झंडा एक साथ लगाया गया है। साथ ही 30 मीटर का तिरंगा भी पहाड़ी पर लगा है।
यहां
ना
हिन्दू
को
परेशानी
ना
मुस्लिम
को
पहाड़ी
पर
आने
वाले
श्रद्धालुओं
ने
बताया
कि
मंदिर
से
महाआरती
के
दौरान
आने
वाली
कपूर
और
घी
की
खुशबू
के
साथ
जब
दरगाह
से
आने
वाली
लोभान
की
महक
मिलती
है
तो
उससे
ज्यादा
सुख
देने
वाला
कुछ
नहीं
लगता।
वहां
आने
वाले
श्रद्धालु
आमतौर
पर
पहले
मंदिर
में
दर्शन
करते
हैं
और
पूजा-पाठ
के
बाद
दरगाह
पर
माथा
टेककर
जाते
हैं।
पहाड़ी पर रेगुलर आने वाली सुषमा अग्रवाल ने बताया कि वह दशकों से वहां आ रही हैं। उन्होंने कहा, 'मैं शादी के बाद से यहां आ रही हूं। मुझे लगा था कि ससुरालवाले मुझे दो अलग-अलग जगहों पर ले जाने वाले हैं लेकिन यहां का नजारा देखकर मैं दंग रह गई। ऐसा सद्भाव पहली बार देखा था।'
मंदिर और मस्जिद की देखभाल करने वाले 51 वर्षीय महंत नवल बाबा ने लोगों की हैरानी पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा 'दोनों जगहों का मकसद एक ही है, दोनों एक ही रास्ता दिखाते हैं, इसमें हैरानी जताने की क्या जरूरत है?'
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