जान जोखिम में डालने का इनाम महज़ 40 रुपये!
माओवादियों से लड़ने वाले पुलिसकर्मियों को छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से इस तरह की ही रक़म दी जाती है.
अपनी जान जोख़िम में डाल कर माओवादियों से लोहा लेने की क़ीमत क्या हो सकती है?
छत्तीसगढ़ सरकार से अगर यह सवाल पूछें तो जवाब होगा 40 रुपये, 50 रुपये, 75 रुपये और बहुत हुआ तो 100-150 रुपये.
माओवादियों से मुठभेड़ करने वाले बहादुर जवानों को छत्तीसगढ़ सरकार ऐसी ही रक़म इनाम में देती है.
दंतेवाड़ा में छत्तीसगढ़ पुलिस के जवान रामसाय (बदला हुआ नाम) इनाम के सवाल पर हंस देते हैं.
छत्तीसगढ़ में सीआरपीएफ के 11 जवान मारे गए
छत्तीसगढ़ के कंपनी मालिक क्यों इनसे डरते हैं?
रामसाय कहते हैं, "यह पिछले साल का क़िस्सा है. माओवादियों के सर्चिंग ऑपरेशन के लिए हम दो दिनों से जंगल की खाक़ छान रहे थे और जब हम थक चुके थे, उसी समय हम पर माओवादियों ने हमला बोला. हम लोगों ने भी मोर्चा संभाला और जवाबी कार्रवाई की. अपनी जान की परवाह नहीं की और कई माओवादियों को मार दिया."
"उस दिन पुलिस अधीक्षक ने पूरी टीम को सराहा और इनाम देने की घोषणा की. घर में भी लोग ख़ुश थे. लेकिन लगभग महीने भर बाद जब इनाम मिला तो मैं शर्म से गड़ गया. मुझे मुठभेड़ में अपने शानदार प्रदर्शन के लिए 40 रुपये का इनाम दिया गया था."
रामसाय का कहना है कि यह उनका पुलिस सेवा में पहला इनाम था, इसलिए बहुत उम्मीदें थीं.
रामसाय कहते हैं, "अब तो इनाम के बारे में सोचता भी नहीं हूं. कहीं किसी जवान को इनाम देने की घोषणा की जाती है तो मुझे बस हंसी आती है. हमारी जान की क़ीमत भुजिया के पैकेट से भी कम है. भुजिया का पैकेट भी इससे महंगा आता है."
पिछले दो साल के आंकड़े देखें तो बस्तर में माओवादियों से मुठभेड़ करने वाले 1362 जवानों को अलग-अलग अवसरों पर उनकी वीरता के लिए पुरस्कृत किया गया. लेकिन इनमें से लगभग 75 फ़ीसदी जवानों को 100 रुपये या उससे भी कम बतौर ईनाम दिये गए.
344 जवानों को तो महज़ प्रशंसा पत्र थमा दिया गया, जबकि 91 जवानों को 40 रुपये और 325 जवानों को 50 रुपये दिए गए. 109 जवान ऐसे थे, जिन्हें 75 रुपये दिए गए. इसी तरह 100 रुपये की रक़म पाने वाले जवानों की संख्या 211 थी.
लेकिन ऐसा नहीं है कि सारे जवानों को ऐसी ही रक़म मिली. इन 1362 जवानों में से एक, सहायक उप निरीक्षक संग्राम सिंह को इनाम में चार हज़ार नगद दिए गए. यह बस्तर में पिछले दो सालों में ईनाम की सबसे बड़ी रक़म है.
इसके अलावा 109 जवानों को पदोन्नति दी गई और चार जवानों को वीरता पदक भी दिया गया.
इसी तरह चार जवानों को 2500 रुपये, दो जवानों को 1500 रुपये और 37 जवानों को हज़ार-हज़ार रुपये बतौर इनाम दिए गए. 500, 400 और 350 रुपये का इनाम पाने वालों की संख्या महज़ एक-एक है. 250, 300 और 375 रुपये की रक़म चार-चार जवानों को दे कर उनका हौसला बढ़ाया गया.
पुलिस सुधार को लेकर चर्चित उत्तर प्रदेश व असम में पुलिस प्रमुख और सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक रहे प्रकाश सिंह का कहना है कि इस तरह के इनाम को जवान की सेवा पुस्तिका में दर्ज़ किया जाता है. इसका लाभ उन्हें सेवा काल में मिलता है. लेकिन वे इतनी कम रक़म दिए जाने को हास्यास्पद मानते हैं.
प्रकाश सिंह कहते हैं, "चालीस रुपये या सौ रुपये का इनाम मुंगफली की तरह है. किसी चौराहे पर खड़े हैं और किसी ने हाथ बढ़ाया और आपने रुपया-दो रुपया डाल दिया. सरकार को इनाम देना है तो ठीक से दे नहीं तो इसे भी बंद कर दे."
प्रकाश सिंह का कहना है कि जवानों को ईनाम के रुप में दिए जाने वाले बजट को बढ़ाए जाने की जरूरत है और जवानों को एक सम्मानजनक राशि दी जानी चाहिए.
लेकिन छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री रामसेवक पैंकरा जवानों को दी जाने वाली इनाम की राशि को पर्याप्त मानते हैं.
रामसेवक पैंकरा कहते हैं,"फ़िलहाल तो जवानों को दी जाने वाली इनाम की राशि को बढ़ाए जाने की कोई योजना नहीं है. मुझे लगता है कि जवानों को जो इनाम राशि दी जाती है, वह पर्याप्त है."
ईनाम की रक़म
0-50
0-150
200-500
1000-2500
3000-4000
जवानों की संख्या
760
1173
34
44
1
स्रोतः गृह मंत्रालय, छत्तीसगढ़