पुलिस करती है 'परेशान', मुस्लिम बुजुर्ग ने किया गायों को दान करने का फैसला
पुणे। सत्तार मुर्तजा शेख का कहना है कि पुलिस की वजह से गाय पालना अब उसके लिए फायदे की जगह नुकसान का सौदा हो गया है। इसलिए वो अपनी गाय और बछड़े को दान करेगा।
हमारा परिवार 90 साल से गाय पालता रहा है, बाप-दादा ने गाय पालकर ही परिवार को पाला है लेकिन मैंने परिवार की 90 साल से ज्यादा पुरानी ये परंपरा छोड़ने का फैसला किया है। ये कहना है सत्तार मुर्तजा शेख।
मुर्तजा पुणे के भावानी पैठ (अब नाना पैठ ) में रहते हैं। उनका छोटा सा मकान है। सत्तार के पास दो गाय और एक बछड़ा है। उनके खिलाफ पुलिस ने गायों की ठीक से देखभाल ना कर पाने और गौकशी के इरादे से गाय रखने के लिए मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस ने उनकी गायों को भी अपने कब्जे में ले लिया है।
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गायों को छुड़ाने के लिए दे चुका 50 हजार
इससे पहले भी सत्तार की गायों को पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया था, जब वो सड़क पर आवारा पशुओं की तरह घूम रही थीं। उस समय सत्तार ने बछड़े को 600 और गाय को 1200 रुपए देकर छुड़ाया था।
सत्तार का कहना है कि वो पिछले कुछ समय में तकरीबन 50, 000 रुपए अपनी गायों को पुलिस से लेने के लिए दे चुका है। ऐसे में ये मुमकिन नहीं है कि अब वो आगे गाय पाल सके। सत्तार का कहना है कि ताजा मामले में कोर्ट का फैसला आने के बाद वो गाय एक संस्था को दान कर देगा।
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इतना ही नहीं, सत्तार का कहना है कि जब उसने पुलिस से उसके पशुओं को छोडने की गुहार लगाई तो पुलिस ने एक नहीं सुनी। वहीं कुछ संगठनों ने कहा कि वो गाय काटने के लिए लाए हैं।
खाली जगह बची नहीं है, तो पशु सड़क पर ही घूमेंगे
सत्तार कहते हैं कि आर्थिक नुकसान के साथ-साथ 90 साल से गाय पालते आ रहे परिवार को अगर गाय काटने वाला कहा जाएगा और पुलिस भी इसी तरह से मुकदमा दर्ज करेगी तो फिर भला क्या करेंगे गाय पालकर।
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सत्तार का कहना है कि वो गरीब है और उसका घर छोटा सा है। ऐसे में ये मुमकिन नहीं कि अपने तीनों पशुओं को घर पर रख सके। उसका कहना है कि हमेशा से उनके पशुओं ने घर के बाहर के ही चरा है।
सत्तार कहते हैं कि पहले तो मैदान खाली पड़े रहते थे, पशु आसानी से चर लेते थे। आज खाली जगह कहीं बची नहीं तो फिर पशु सड़क किनारे ही दिखेंगे।