पटना न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

बिहार में ऐसे टीचर्स, जिन्हें पैदा होने से पहले ही मिल गई B.ED की डिग्री

Google Oneindia News

school
पटना। बिहार में शिक्षा का स्तर कितना गिर गया है इसका अंदाजा लगाना कोई मुश्किल भरा काम नहीं है। बिहार के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों से जब आप मामूली सवाल भी पूछेगें तो आपको ज्ञात हो जाएगा कि यहां के बच्चों का शिक्षा स्तर क्या है। भले ही ये फॉर्मूला हर पर लागू ना हो, लेकिन आधे से ज्यादा मामले आपको ऐसे ही मिलेंगे।

बिहार में सरकारी शिक्षकों के पास डिग्रियों की कोई कमी नहीं है, लेकिन राज्य के शिक्षा स्तर को देखकर अंजादा लगाया जा सकता है कि यहां स्कूलों में क्या पढ़ाई होती है। हो भी क्यों ना जब मास्टर जी ही फर्जी डिग्री लेकर पढ़ा रहे हो तो बच्चों का भविष्य क्या होगा। बिहार में डिग्रियों का 'खेल' धड़ल्ले से चल रहा है। इस बात का खुलासा किया अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने।

अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे चौंकाने वाले तथ्य सामने आए जिसे जानकार आप के पैरो तले जमीन खिसक जाएगी। सहरसा के सरकारी स्कूल के टीचर एलबी सिंह का जन्म जनवरी 1986 में हुआ था, लेकिन इन्होंने अपने जन्म से 7 साल पहले यानी 1979 में ही बीएड की डिग्री हासिल कर ली थी। आप हैरान जरुर हो रहे होंगे, लेकिन एलबी सिंह बिहार में अकेले ऐसे टीचर हैं, जो बीएड की 'डिग्री के साथ पैदा हुए हैं'। अंग्रेजी अखबार 'इंडियन एक्सप्रेस' की खबर के मुताबिक सारण जिले की इंदु कुमारी ने भी अपने जन्म से 7 साल पहले ही बीएड कर लिया था।

इतना ही नहीं मधेपुरा के शिवनारायण यादव और प्रीति कुमारी ने जन्म से 3 साल पहले बीएड की डिग्री हासिल कर ली, जबकि पूर्वी चंपारण के तारकेश्वर प्रसाद जन्म से 5 साल पहले डिग्री ले चुके थे। अखबार में छपी रिपोर्ट ने बिहार में शिक्षा की पोल खोल कर रख दी है। खबर के मुताबिक मार्च-अप्रैल 2012 में यहां 32,127 शिक्षकों की नियुक्ति हुई। लेकिन इन शिक्षकों में से कम से कम 95 ऐसे हैं, जिन्होंने जन्म से पहले ही बीएड कर ली थी।

दरअसल 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि बिहार सरकार 21 साल तक की उम्र से पहले बीएड कर चुके 34,540 लोगों को टीचर के रूप में भर्ती करें। जिसके बाद कोर्ट के आदेश के आधार पर बिहार सरकार ने शिक्षकों की ये नियुक्ति‍यां की, लेकिन के शिक्षा मंत्रालय के सूत्रों से खुलासा हुआ है कि उस भर्ती किए गए 32,127 में से कम से कम 3000 टीचर्स ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी हासिल की।

अखबार की खबर के मुताबिक बिहार के वैशाली और गोपालगंज से अबतक 39-39 फर्जीवाड़े के कारण हटाए जा चुके है। जबकि कैमूर से 36 ऐसे टीचर्स अपनी नौकरी गंवा चुके हैं। अखबार की रिपोर्ट के अनुसार 2012 में बिहार सरकार ने उच्चतम न्यायालय के‌ आदेश पर टीचरों की जिस तरह से भर्ती की कि अब भर्ती ‌प्रक्रिया ही सवालों के घेरे में आ गई है। नियमों को ताक पर रखकर उन लोगों को भी टीचर बना दिया गया है जिन्होंने अपने जन्म से पहले ही बीएड कर लिया था। अब जब कि इस बात का खुलासा हुआ है तो राज्य सरकार चुप्पी साधे बैठी हुई है।

Comments
English summary
There are at least 95 other such teachers among the 32,127 appointed by Bihar in March-April 2012, in compliance with the Supreme Court’s 2010 order to appoint 34,540 teachers, who got their B.Ed degrees either before their birth or before the likely age of 21.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X