हजारों बच्चों की जान लेने के बाद भी पहेली बना हुआ है जापानी बुखार
पटना। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में दो दशक में हजारों बच्चे जैपनीज़ इन्सेफलाइटिस यानी जापानी बुखार नामक अज्ञात बीमारी से मौत की नींद सो गये, लेकिन सरकार के लिये यह बीमारी अब तक एक पहेली बनी हुई है। इस बीमारी में आने के बाद जो बच जाते हैं, उनमें से कई विकलांग हो जाते हैं।
पढ़ें-
एक
बच्ची
जिसे
एलियन
कहकर
पुकारते
हैं
बच्चे
राज्य और केंद्र सरकार के द्वारा करोड़ों रुपये खर्च किए जाने के बाद भी डॉक्टर महज लक्षण के आधार पर बच्चों का इलाज करते हैं। कोई ठोस परीक्षण नहीं, कोई ठोस दवा नहीं।
1994 में सामने आया था पहला मामला
जैपनीज
इंसेफलाइटिस
के
शोध
में
देश
और
विदेश
के
डॉकटरों
की
टीम
लगी
है,
लेकिन
अब
भी
यह
बीमारी
पहेली
बनी
हुई
है।
मुजफ्फरपुर
जिले
में
पहली
बार
1994
में
इस
अज्ञात
बीमारी
के
कहर
का
पता
सरकार
को
लगा।
तब
से
आज
तक
इस
बीमारी
का
कहर
जारी
है।
जो बच्चे इस बिमारी के शिकार होते हैं, उनमे अधिक बुखार के साथ चिमकी का लक्षण मिलता हैं। और अकसर इलाज के लिए अस्पताल लाने के दौरान ही मौत हो जाती है। यह बीमारी ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों में ज्यादा फैलती है और दुर्भाग्यवश बिहार के अधिकांश गांव बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित हैं।
जापानी बुखार के कारण हुए गरीब बच्चों की मौत का आंकड़ा
- वर्ष --1994 ---- बीमार ---131; मौत --- 57
- वर्ष --1995 ---- बीमार ---102; मौत --- 31
- वर्ष --1996 ---- बीमार ---82; मौत --- 33
- वर्ष --1997 ---- बीमार ---55; मौत ---21
- वर्ष --1998 ---- बीमार ---42; मौत --- 16
- वर्ष --1999 ---- बीमार ---29; मौत --- 09
- वर्ष --2000 ---- बीमार ---32; मौत ---13
- वर्ष --2001 ---- बीमार ---47; मौत ---11
- वर्ष --2002 ---- बीमार ---34; मौत ---09
-
वर्ष
--2003
----
बीमार
---42;
मौत
---12
- वर्ष --2004 ---- बीमार ---61; मौत ---21
-
वर्ष
--2005
----
बीमार
---54;
मौत
---27
-
वर्ष
--2006
----
बीमार
---87;
मौत
---29
-
वर्ष
--2007
----
बीमार
---93;
मौत
---34
-
वर्ष
--2008
----
बीमार
--137;
मौत
---72
-
वर्ष
--2009
----
बीमार
--182;
मौत
---37
-
वर्ष
--2010----
बीमार
--198;
मौत
---82
-
वर्ष
--2011
----
बीमार
--283;
मौत
--102
-
वर्ष
--2012
----
बीमार
--102;
मौत
---57
-
वर्ष
--2013
----
बीमार
--272;
मौत
--195
-
वर्ष
--2014
----
बीमार
--209;
मौत
--127
-
वर्ष
--2015
----
बीमार
---89;
मौत
---35
यह तो सरकारी आंकड़ा है, जबकि तमाम ऐसे बच्चे हैं, जिनकी मौत अस्पताल पहुंचने से पहले ही हो गई।