बिहार चुनाव: किस पार्टी को कहां आ रही परेशानी?
पटना। बिहार विधानसभा चुनावों को लेकर गहमा-गहमी बरकरार है। चुनाव की डेट बहुत जल्द घोषित हो सकती हैं। ऐसे में सीटों के बंटवारे को लेकर तमाम पार्टियां समस्याओं से घिरी हुई हैं। मजेदार बात यह है कि कई पार्टियां तो अन्य का मुंह ताक रही हैं, ताकि सेफ साइड चल सकें।
ये बात पक्की है कि चुनाव आयोग राजनीतिक दलों को ज्यादा समय नहीं देगा। ऐसे में बहुत कम टाइम में सभी को जनता का विश्वास हासिल करने के लिये पुरजोर प्रयास करने होंगे। लेकिन प्रयास तो तब होंगे जब नेता तय होगा। लालू-नीतीश-मुलायम-सोनिया का महागठबंधन जहां बनते ही बिखरने की तरफ बढ़ने लगा है, वहीं छोटे-छोटे दल एक दूसरे से मिलने के प्रयास कर रहे हैं।
चलिये जानते हैं कहां क्या चल रहा है-
-
झारखंड
मुक्ति
मोर्चा
ने
तय
किया
है
कि
वो
अकेले
चुनाव
लड़ेगा।
किसी
के
साथ
कोई
समझौता
नहीं।
-
राष्ट्रवादी
कांग्रेस
पार्टी
और
बहुजन
समाज
पाटी
अलग-थलग
पड़ी
हुई
हैं।
उनसे
कोई
दोस्ती
करने
को
तैयार
नहीं
है।
-
जदयू
से
अलग
हुए
जीतन
राम
मांझी
राजद
अध्यक्ष
लालू
के
घर
में
ताक-झांक
कर
रहे
हैं।
-
मांझी
दूसरी
तरफ
भाजपा
से
40
सीटें
अपने
प्रत्याशियों
के
लिये
चाहते
हैं,
जबकि
राम
विलास
पासवान
के
रहते
यह
संभव
नहीं
है।
-
पहले
मांझी
ने
13
सीटों
की
बात
कही
थी,
लेकिन
बढ़ते
कद
को
देखते
हुए
अब
उन्होंने
भी
मुंह
फैल
दिया
है।
-
भाजपा
और
लोजपा
में
सीटों
के
बंटवारे
को
लेकर
बातचीत
चल
रही
है,
हालांकि
किसी
भी
प्रकार
की
अंतरकलह
की
खबर
अब
तक
नहीं
आयी
है।
- एनडीए का नेतृत्व कर रही भाजपा 243 में से 160 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, लेकिन अभी तक प्रत्याशी तय नहीं हुए हैं।
- जदयू में सबसे बड़ी परेशानी राजद से दोस्ती है। दोस्ती करने के बाद कई सीटों पर फैसला अटक गया है।
स्लाइडर में पढ़ें पार्टियों की समस्याएं-
लोजपा की समस्या
लोजपा की समस्या यह है कि केंद्र में वर्चस्व बढ़ाने के लिये बिहार के रिपोर्टकार्ड में अच्छे मार्क्स लाने ही होंगे और वो कैसे आयेंगे।
मांझी की समस्या
मांझी की समस्या यह है कि भाजपा उन्हें लोजपा से ऊपर का कद देने के लिये कतई तैयार नहीं है। सो बची कुची सीटें ही मिलेंगी।
भाजपा की समस्या
भाजपा की समस्या यह है कि वो पासवान को नाराज करे या जीतन राम मांझी को?
झामुमो की परेशानी
झामुमो सोच में पड़ी है कि एनडीए के बड़े दिग्गजों को हराने के लिये कौन सी रणनीति अपनानी चाहिये।
राकापा की परेशानी
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की समस्या यह है कि अगर कोई साथ नहीं खड़ा हुआ तो एक भी सीट जीतना मुश्किल होगा।
नीतीश कुमार की समस्या
जदयू की सबसे बड़ी समस्या यह है कि वो ऐसा क्या करें कि लालू यादव कहीं भी नाराज नहीं हों। क्योंकि लालू से दोस्ती टूटने का मतलब चुनाव हाथ से गया।