लालू-नीतीश की स्वाभिमान रैली की 5 राजनीतिक समीकरण
पटना। बिहार की राजधानी में रविवार को करोड़ों लोग जुटने वाले हैं। जाहिर है शहर की यातायात व्यवस्था चरमरा जायेगी, खैर कोई नहीं चुनाव तक तो यह आम रहने वाला है। आम छोड़िये खास पर ध्यान दीजिये, जी हां इस रैली की खास बातें जानना बहुत जरूरी हैं, क्योंकि लालू-नीतीश के साथ यहां कई दिग्गज खड़े होने वाले हैं।
पटना के गांधी मैदान में आयोजित होने वाली महास्वाभिमान रैली के मद्देनजर अगर चुनावी समीकरण पर गौर किया जाये, तो आने वाले कुछ ही हफ्तों में बिहार में बड़ा फेर बदल होने की संभावना दिख रही है। इस वजह से कई सारी आशंकाएं पैदा हो रही हैं, जो इस प्रकार हैं-
- मुलायम सिंह यादव भी चाहते हैं कि यूपी को बड़ा पैकेज मिले, इसलिये इस वक्त वो मोदी खेमे से दोस्ती की पैंगे बढ़ा रहे हैं। चूंकि वो खुलकर मोदी का समर्थन नहीं कर सकते हैं, लिहाजा इस रैली में उनका आना मुश्किल है।
- मुलायम की नाराजगी को लालू यादव अच्छी तरह भाप गये हैं, शायद इसीलिये रैली के पहले ही उन्होंने घोषणा कर दी कि महागठबंधन समाजवादी पार्टी के लिये पांच सीटें छोड़ देगा।
- मुलायम के लिये सीट छोड़ने से कांग्रेस की दोस्ती में खलल पैदा हो सकती है। भले ही यह तय हो चुका है कि रविवार को गांधी मैदान पर सोनिया गांधी आयेंगी, लेकिन उन्हें बोलने के लिये कितना समय दिया जायेगा, यह तय नहीं हुआ है।
- नीतीश-लालू की दोस्ती। असल में यह गठबंधन रैली नीतीश-लालू की दोस्ती का है। सपा और कांग्रेस तो महज़ पिज्जा के साथ मिलने वाले ऐडऑन के समान हैं। वो ऐडऑन जिसे खरीदने का चांस आपको तभी मिलता है जब आप पिज्जा बुक कर चुके होते हैं। जाहिर है लालू-नीतीश का पिज्जा खाने वाले ही कांग्रेस-सपा की ओर देखेंगे।
- गठबंधन का मुख्य मकसद तो भारतीय जनता पार्टी को हराने का है, लेकिन इस रैली में शक्ति प्रदर्शन सिर्फ भाजपा को दिखाने के लिये नहीं, बल्कि असाउद्दीन ओवैसी को दिखाने के लिये भी होगा।
हालांकि 'स्वाभिमान रैली' को लेकर बिहार में जनता दल (युनाइटेड), राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस ने अपनी ताकत झोंक दी है। रैली को लेकर सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। रैली के मद्देनजर प्रशासन की ओर से खास इंतजाम किए जा रहे हैं। अब देखना यह है कि रैली का यह ऊंट किस करवट बैठता है।