कुर्सी पर बनें रहने के लिए मांझी के पास हैं ये 5 मौके
पटना। बिहार में सियासी उठापटक के बीच रोज नए-नए मोड़ सामने आ रहे है। मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी जहां अपनी कुर्सी बचाने में जुटे हैं तो वहीं पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सीएम की कुर्सी को हथियाने में जुटे हुए है। मांझी को कुर्सी को बचाने के लिए अब फ्लोर टेस्ट देना होगा। राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने मांझी से कहा है कि वो 20 फरवरी को विधानसभा में अपना बहुमत साबित करें। ऐसे में कुर्सी पर बनें रहने के लिए मांझी के पास 5 विक्लप बचते हैं।
विकल्प नबंर 1
मांझी को अपनी कुर्सी बचाने के लिए सबसे बेहतर विकल्प ये है कि वो विधानसभा में अपना बहुमत साबित करें। इसके लिए मांझी को उम्मीद है कि बहुमत साबित करने में भाजपा उनकी मदद करेगी। हलांकि भाजपा की ओर से इस बारे में कोई बयान नहीं आया है। अगर भाजपा मांझी का साथ देती है तो उनके पास जेडीयू और राजद के 56 विधायकों के साथ भाजपा के 87 विधायकों का भी समर्थन हासिल हो जाएगा।
विकल्प नबंर 2
अगर मांझी बहुमत साबित नहीं कर पाते तो वो खुद की अलग पार्टी बना सकते हैं। ऐसे में वो अपनी नई पार्टी के जरिए अपने बूते उतर कर लोगों को अपनी बात समझा सकते हैं।
विक्लप नबंर 3
अगर वो चुनाव में अपनी पार्केटी के साथ अकेले चुनाव नहीं लड़ना चाहें तो वो लोजपा की तरह भाजपा के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन कर सकते हैं भाजपा के साथ मिलकर गठबंधन कर साथ चुनाव लड़ सकते हैं।
विकल्प नबंर 4
अगर इसपर भी बात नहीं बनीं तो मांझी चुनाव बाद भाजपा या फिर चुनाव के बाद आई बड़ी पार्टी के साथ सरकार में भागीदारी के लिए मोलभाव कर सकते हैं।
विकल्प नबंर 5
आखिरी विकल्प ये भी है कि मांझी सबकुछ भुलाकर नीतीश कुमार के साथ समझौता कर लें और मुख्यमंत्री की कुर्सी फिर से नीतीश के हवाले कर दें। हलांकि इसका विकल्प बहुत कम है।