किसे खुश करने के लिये भारत के लिये जहर उगल रहे परवेज मुशर्रफ
नई दिल्ली (विवेक शुक्ला)। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ भारत के खिलाफ पूरी तबीयत से जहर उगल रहे हैं। यह तो सभी जानते हैं कि मुशर्रफ को खबरों में अच्छी तरह रहना आता है, लेकिन अब सवाल यह उठता है कि आखिर किसे खुश करने के लिये भारत को युद्ध के लिये उकसा रहे हैं? क्या वाह कोई एक व्यक्ति है या फिर कोई समाज जिसका विश्वास मुशर्रफ जीतना चाहते हैं।
इन दिनों देशद्रोह के एक केस में बेल पर जेल से बाहर जिंदगी बसर कर रहे मुशर्ऱफ कह रहे हैं कि कश्मीरियों के संघर्ष में हमें उनका साथ देना होगा। सरहद पर भारत-पाकिस्तान के बीच हाल के दौर में हुई गोलीबारी के बारे में उन्होंने कहा, हम मुसलमान हैं। अगर हमारे चांटा मारेगा तो हमें भी जवाब देना आता है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को एंटी मुस्लिम और एंटी पाकिस्तानी करार दिया। संगीन आरोपों से घिऱे मुशर्ऱफ ने एक निजी टीवी चैनल को यह सब कहा।
किसे इम्प्रेस करते मियां मुशर्रफ
पाकिस्तान मामलों के जानकार फिरोज बख्त अहमद मानते हैं कि मुशर्रफ यह सब पाकिस्तान सेना को इम्प्रेस करने के लिए कह रहे हैं। उन्हें कहीं न कहीं मालूम है कि देशद्रोह के आरोपों से उन्हें कोर्ट से तो राहत मिलेगी नहीं। उनसे पुरानी अदावत रखने वाले प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी उनकी कोई मदद नहीं करेंगे। तो उनके पास बचने के विकल्प क्या है... विकल्प एक है कि वे सेना के हक में बोले और कश्मीरियों के पक्ष में बात करें। कश्मीरियों की बात करना पाकिस्तान के पंजाब सूबे के अवाम को पसंद आता है।
राज मोहन गांधी ने हाल में एक जगह कहा था कि पाकिस्तान का पंजाब प्रांत इस्लामिक कट्टरपन का गढ़ है। 12 करोड़ की आबादी के इस प्रांत में भारत विरोध की जडें बहुत गहरी और जहरीली हैं। दरअसल मुशर्रफ पंजाब प्रांत और सेना को ही तो इम्प्रेस करना चाहते हैं कश्मीर के मसले पर बात करके। उन्हें सेना से भी बहुत उम्मीद है। पाकिस्तान सेनाध्यक्ष राहिल शरीफ के बड़े भाई के वे मित्र रहे हैं। राहिल के बड़े भाई 1971 की भारत के साथ हुई जंग में मारे गए थे।
जानकार मानते हैं कि मुशर्रफ से जिस तरह की संयमित भाषा की उम्मीद करनी चाहिए,उसका साफतौर पर अभाव देखा जा सकता है। वे दिल्ली में पैदा हुए। उनके अब्बा और अम्मी दिल्ली से थे। दिल्ली वाला कोई शख्स पहले से खराब भारत-पाकिस्तान के संबंधों को सुधारने की बजाय बिगाड़ने की कोशिश करे, यह बेहद दुखद है। अब उनके लिए अपने मुल्क में कोई संभावना नहीं है। इसके बावजूद वे इस तरह की बयानबाजी कर रहे है, जिससे साफ है कि वे सठिया गए हैं और बचने की संभावनाएं तलाश रहे हैं।