'चाचा' लखवी जिसने भारत को खून से लाल करने की कसम खाई
इस्लामाबाद। एक तरफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ आतंकवाद के खिलाफ लड़ने की कसम खाते हैं तो वहीं उनकी अदालत 26/11 के मुख्य आरोपी और लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद के करीबी जकी-उर-रहमान को जमानत पर रिहा कर देती है।
जमानत की टाइमिंग अपने आप में काफी कुछ कह जाती है। लाहौर में भारत को धमकी देने वाले हाफिज सईद के एक बयान के अगले ही दिन लखवी को जमानत मिल गई है।जानिए कौन है यह लखवी और 26/11 के साथ इसका क्या ताल्लुक है।
सईद का करीबी लखवी
लखवी हाफिज सईद का करीबी है। अगर सईद के बाद उस उसे लश्कर का दूसरा मुखिया कहा जाए तो गलत नहीं होगा। मुंबई हमलों से जुड़ी हर तरह की जांच में उसका जिक्र हुआ है।
अजमल कसाब, डेविड हेडली और अबु जुंदाल ने भी पूछताछ में कई बार लखवी का नाम लिया है। इन सभी ने एजेंसियों को बताया है कि लखवी ही वह शख्स है जिस पर मुंबई हमलों की पूरी जिम्मेदारी थी और जो हमलावरों को निर्देश दे रहा था। इन हमलों में सईद सिर्फ एक दिमाग की तरह से काम कर रहा था।
भारत में मोस्ट वांटेड
लखवी ही वह शख्स है जो कसाब की ही तरह कई लोगों को भारत के खिलाफ तैयार करता था। हाफिज सईद की ही तरह वह भी भारत में मोस्ट वांटेंड आतंकी है। नेशनल इनवेस्टिंगेटिंग एजेंसी यानी एनएसए जो मुंबई हमलों की जांच से जुड़ी थी, उसने लखवी को इस लिस्ट में रखा था।
लखवी के कई नाम
लखवी को ट्विटर पर कई तरह के हैंडल के साथ सर्च किया जा सकता है। Chachaji @ Chhota Chachaji @ Chhota Chacha @ Zakir Rehman Lakvi @ Zaki Ur-Rehman Lakvi @ Kaki Ur-Rehman @ Zakir Rehman @ Abu Waheed @ Irshad Ahmad @ Arshad, लखवी इतने ट्विटर हैंडल्स के साथ इस माइक्रो ब्लॉगिंग साइट पर मौजूद है।
कसाब ने भी लिया था लखवी का नाम
अपनी गिरफ्तारी से पहले लखवी ने अपने सभी कैडर्स को बताया था कि मुंबई हमला सिर्फ एक शुरुआत है। लखवी की मानें तो लश्कर ने मुंबई हमलों की तर्ज पर भारत में कई हमलों को अंजाम देने की साजिश तैयार कर रखी है।
उसने अपनी इस साजिश को 'भारत का खून बहाओ,' यह नाम दिया था। जिस समय अबु जुंदाल से पूछताछ की गई, उसने बताया कि सईद नहीं बल्कि लखवी लश्कर की ओर से हमलों के लिए अपील करता था।
कसाब ने भी अपनी पूछताछ में बताया था कि लोग उसे चाचा कहकर बुलाते हैं। इसके अलावा मुंबई हमले के पूरे ऑपरेशन के दौरान लखवी कंट्रोल रूम में मौजूद था और हमलावरों को आदेश दे रहा था। पूरे ऑपरेशन की शुरुआत से लेकर इसके खत्म होने तक वह कंट्रोल रूम में मौजूद रहा था।
जब पहली बार सुना गया लखवी का नाम
पहली बार लखवी का नाम उस समय लोगों ने सुना जब वर्ष 1999 में मुर्दिके सम्मेलन हुआ। तीन दिनों के इस सम्मेलन के दौरान लखवी ने फिदायिनों को भारत पर हमले करने और यहां पर खून-खराबा करने से जुड़ी बातों के लिए कहा।
लखवी ने कहा भारत के खिलाफ हमले करके ही वह कश्मीर के उन लोगों का आत्मविश्वास जीत सकते हैं जो पिछले कई वर्षों से आजादी का इंतजार कर रहे हैं।
लखवी ने उस समय इस बात को जोर देकर कहा था कि अब भारत को सबक सिखाने का समय आ गया है। मुंबई की लोकल ट्रेन में वर्ष 2006 में हुए ब्लास्ट्स के दौरान भी लखवी की ही साजिश थी जो उसने 26/11 तक जारी रखी।