क्या होगा जब उस हाफिज सईद से मिलेगा यह हाफिज सईद?
काबुल। अफगानिस्तान में अमेरिकी फौजों का मिशन खत्म हो गया है, अल कायदा और आईएसआईएस जो कभी एक दूसरे की ओर देखना तक नहीं चाहते थे, आज एक दूसरे के लिए 'सॉफ्ट कॉर्नर' रखने लगे हैं। इन सबके बीच ही आईएसआईएस ने अफगानिस्तान में अपना जो नया कमांडर अप्वाइंट किया है उसका नाम है मुल्ला सईद ओराकजाई उर्फ हाफिज सईद खान।
क्या होगा जब साथ आएंगे आतंक के दो आका
पाकिस्तान में अपनी पकड़ मजबूत करने वाला अफगानिस्तान का तालिबान अब पाक में मजबूती से पैर जमाने के लिए तैयार हो रहा है। वहीं दूसरी तरफ पाक में ही मौजूद लश्कर ए तैयबा और इसका आका हाफिज सईद लगातार कश्मीर और भारत के खिलाफ साजिशों को अंजाम देने की कोशिशों में लगा हुआ है। अब जरा उस दिन की कल्पना करिए जब अफगान तालिबान और लश्कर के हाफिज सईद को एक और हाफिज सईद का साथ मिलेगा।
तालिबान का खतरनाक कमांडर
- हाफिज तालिबान का टॉप कमांडर में रहा चुका है और काफी खतरनाक माना जाता है। ।
- आईएसआईएस का मानना है कि इस समय दुनिया में शरिया लॉ को सफलतापूर्वक लागू कराना है।
- आईएसआईएस को हाफिज से अच्छा कोई विकल्प इस समय नहीं नजर आता।
- हाफिज वर्ष 2007 में अफगानिस्तान में शरिया लॉ को लागू कर चुका है।
- हाफिज के आईएसआईएस से जुड़ने पर सुरक्षा विशेषज्ञों को कोई हैरानी नहीं है।
- वह मानते हैं कि एक दिन हाफिज को आईएसआईएस से जुड़ना ही था।
'गुड तालिबान' और हाफिज
पेशावर आतंकी हमले के बाद पाक में 'गुड तालिबान बैड तालिबान' की काफी चर्चा हुई। पाक में जहां गुड तालिबान को पहले ही जगह मिल गई है तो वहीं अब अफगानिस्तान का बैड तालिबान भी पाक में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है।
ऐसे में आईएसआईएस बिल्कुल भी पीछे नहीं रहना चाहता है। अब जबकि आईएसआईएस ने अफगानिस्तान में अपना हेड अप्वाइंट कर लिया है तो खतरा भी बढ़ गया है। आईएसआईएस सिर्फ अफगानिस्तान तक नहीं रुकने वाला है। वह धीरे-धीरे बांग्लादेश, पाकिस्तान और भारत की ओर भी अपने बैनर अल खोरसान के तले आगे बढ़ता रहेगा।
कौन है यह हाफिज
- 42 वर्ष का हाफिज तहरीक-ए-तालिबान का खतरनाक लड़ाका रहा है।
- अफगानिस्तान-पाक बॉर्डर पर स्थित ओराजकाई में उसका जन्म हुआ है।
- 9/11 के बाद अमेरिका के अफगानिस्तान में मिशन शुरू करने के साथ ही हाफिज आतंकवाद का हिस्सा बन गया।
- उसने अमेरिकियों को घुसपैठिया करार दे
- काबुल पहुंचकर उसने हर अमेरिकी के खिलाफ लड़ाई लड़ने का ऐलान किया।
- उसके खतरनाक ख्यालों को जानकर ही तहरीक-ए-तालिबान के हेड रहे बैतुल्लाह महसूद का ध्यान उस पर गया।
- हाफिज हमेशा से ही बात का समर्थक रहा है कि दुनिया में शरिया लॉ को लागू कर देना चाहिए।
- उसका मानना है कि इस कानून को लागू करने के लिए दुनिया को एक मजबूत सेना की जरूरत है।
- वर्ष 2009 में टीटीपी ने उसे ओराकजाई क्षेत्र का मुखिया बना डाला।
जब हुआ टीटीपी से अलग
- बैतुल्लाह महसूद जब तक जिंदा था, हाफिज को संगठन का हिस्सा रहा।
- उसकी हत्या के बाद संगठन के अंदर ही लड़ाई शुरू हो गई।
- इसका नतीजा था कि संगठन दो हिस्सों में बंट गया।
- संगठन के ज्यादातर लोग हकीमुल्ला महसूद के समर्थक थे।
- खान वली-उर-रहमान को संगठन का कमांडर बनाना चाहता था।
- संगठन में भले ही अंदरुनी लड़ाई चल रही थी लेकिन संगठन टूटा नहीं था।
- वर्ष 2013 में हकीमुल्ला की मौत के बाद मौलाना फजलुल्लाह को संगठन का प्रमुख बना दिया गया।
- यहीं से संगठन टुकड़ों में बंटना शुरू हो गया और एक वर्ष बाद हाफिज इससे अलग हो गया।
- खान ने अबु बकर अल बगदादी को खुलेआम समर्थन का ऐलान किया है।
- खान का मानना है कि आईएसआईएस में वह ताकत है कि शरिया कानून को लागू कराया जा सके।
क्यों यह हाफिज भारत के लिए खतरनाक
- अफगान तालिबान और अल कायदा हमेशा मिलकर लड़ाई लड़ते आए हैं।
- अब टीटीपी और अल खोरासन एक साथ आने वाले हैं।
- अल कायदा की ही तरह आईएसआईएस, इन संगठनों को भी समर्थन देगी।
- मुल्ला उमर को आईएसआई ने बलूचिस्तान में सुरक्षित पनाह दी हुई है।
- अपने ऐलान के बाद भी पाक ने हक्कानी के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया है।
- पूरी दुनिया में भले ही संदेश गया है कि इस नेटवर्क को बैन कर दिया गया है लेकिन हकीकत कुछ और है।
- पाक में ऑपरेशन जर्ब-ए-अज्ब के बाद, पाक सेना ने हक्कानी नेटवर्क के सभी सदस्यों को सुरक्षित जगह भेज दिया है।