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जानिए पाक सेना की 'ग्रीन बुक' में कश्‍मीर के बारे में क्‍या लिखा है?

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इस्‍लामाबाद। ग्रीन बुक, पाकिस्‍तान आर्मी के सर्विंग ऑफिसर्स के पास मौजूद एक ऐसी किताब जिसमें कई तरह के सीक्रेट्स मौजूद होते हैं। इसी किताब में लिखा है कि पाक सेना को किस तरह से जम्‍मू कश्‍मीर के हालातों में अलगाववादियों की मदद से घाटी के माहौल में और बिगाड़ना है।

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अलगाववादी नेताओं को समर्थन

इस किताब में लिखा है, 'हम जम्‍मू कश्‍मीर के अलगाववादियों को शरण देंगे ताकि घाटी में बड़े पैमाने पर अशांति फैलाई जा सके। अब हमें हथियारों से दूर हटकर अलगाववादी नेताओं की मदद कर कश्‍मीर में बड़े राजनीतिक संघर्ष को आगे बढ़ाना है।' हालांकि यह पहले से ही एक समझा हुआ तथ्‍य है कि अलगाववादी नेता पाक के पैसे पर अपने मिशन को आगे बढ़ा रहे हैं।

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माहौल बिगाड़ने के लिए बेचैन पाक

यह बात अब छिपी नहीं है कि पाकिस्‍तान घाटी में फिर से 90 के दशक को वापस लाने के लिए बेचैन है। पिछले माह हिजबुल कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद के हालात इसी की तरफ इशारा करते हैं।

एक माह बाद भी विरोध प्रदर्शन बंद नहीं हो रहे हैं। जहां स्‍थानीय लोग इस माहौल से छुटकारा चाहते हैं तो वहीं पाकिस्‍तान और अलगाववादी इस आग में घी का काम कर रहे हैं।

अब नए सिरे से होगी लड़ाई

ग्रीन बुक के मुताबिक कश्‍मीर में भारत विरोधी भावनाओं को भड़काने में अलगाववादी नेताओं को आगे रखना होगा। ग्रीन बुक में लिखा है कि कश्‍मीर में एक दौर तक वले हथियारों के संघर्ष के बाद अब अलगाववादी नेताओं के तौर पर राजनीतिक संघर्ष को आगे बढ़ाना होगा।

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कैसे मिल सकता है अंतराष्‍ट्रीय समर्थन

इस किताब में एक जगह लिखा है कि कश्‍मीर मुद्दे पर अब पाकिस्‍तान अंतराष्‍ट्रीय समर्थन खोने लगा है और ऐसे में अब दूसरी तरह से लड़ाई को आगे बढ़ाना होगा।

किताब की मानें तो पाकिस्‍तान को मुद्दे पर अंतराष्‍ट्रीय समर्थन तभी मिल सकता है जब इसका राजनीतिकरण कर दिया जाए। ऐसे में जरूरी है कि अलगाववादी नेताओं को समर्थन देना जरूरी है।

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English summary
A Green Book is a top secret internal publication which publishes opinions and essays of serving officers of the Pakistan army.
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