सिंधु जल विवाद पर पाकिस्तान ने अमेरिका का नाम लेकर बोला झूठ
पाकिस्तान के अखबार डॉन ने किया था दावा कि अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल विवाद को सुलझाने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है। अमेरिकी विदेश विभाग ने नहीं की किसी तरह की पुष्टि।
वाशिंगटन। अमेरिका ने सिंधु जल विवाद में हस्तक्षेप करने की खबरों पर अपनी चुप्पी आखिरकार तोड़ दी है। अमेरिका की ओर से साफ कर दिया है कि उसने भारत और पाकिस्तान दोनों से ही इस विवाद को आपसी बातचीत से हल करने की अपील की है। अमेरिका का रुख पाकिस्तान की ओर से दी गई जानकारी के बिल्कुल ही विपरीत है।
अमेरिकी ने नहीं की पुष्टि
मंगलवार को पाकिस्तान के अखबार डॉन की ओर से किसी अज्ञात अमेरिकी सूत्र के हवाले से लिखा गया था कि अमेरिका ने भारत और पाक के बीच सिंधु जल विवाद को सुलझाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए अमेरिका ने किसी भी तरह के औपचारिक निमंत्रण का इंतजार भी नहीं किया। इस बारे में जब अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता जॉन कीरबी से पूछा गया तो उनका जवाब था, 'हमनें भारत और पाकिस्तान को साथ में मिलकर अपने मतभेदों को सुलझाने की अपील की है।' कीरबी ने इस बात की पुष्टि नहीं की कि अमेरिकी विदेश सचिव जॉन कैरी ने 29 दिसंबर को इस मुद्दे पर पाकिस्तान के वित्त मंत्री इश्हाक डार से फोन पर बात की या नहीं। पाक की ओर से कहा गया कि दोनों के बीच सिंधु जल समझौते को लेकर बात हुई है। कीरबी ने इस बात की भी कोई पुष्टि नहीं की।
दो प्लांट्स की वजह से पाक परेशान
भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ष 1960 में सिंधु जल समझौता हुआ था जिसमें वर्ल्ड बैंक बिचौलिए की तरह है। दोनों के बीच वर्तामन विवाद 330 मेगावॉट वाले किशनगंगा और 850 मेगावॉट वाले रताले हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्लांट को लेकर है। भारत चेनाब और किशनगंगा नदी पर प्लांट्स बना रहा है और पाक का कहना है कि भारत ऐसा करके समझौते के खिलाफ जा रहा है। कीरबी ने कहा कि सिंधु जल समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच शांति सहयोग का एक मॉडल है और यह 50 वर्षों से जारी है। अमेरिका पूर्व की तरह ही भारत और पाक को बातचीत के जरिए मतभेद सुलझाने के लिए उत्साहित करता रहेगा। भारत भी इस मुद्दे पर द्विपक्षीय हल चाहता है। डॉन की ओर से कहा गया था भारत की ओर से ज्यादा समय के अनुरोध ने पाकिस्तान को अलर्ट कर दिया है। डॉन ने लिखा था, 'पाकिस्तान का कहना है कि भारत ने इस तरह की रणनीति पहले भी कई बार प्रयोग की। भारत विवाद के बीच एक प्रोजेक्ट को पूरा करना चाहता है और फिर इस बात पर जोर देता है कि प्रोजेक्ट पहले ही पूरा हो चुका है और अब इसे बदला नहीं जा सकता है।'