पाकिस्तान में अस्थिरता की वजह बनती उर्दू, यूनेस्को की चेतावनी
इस्लामाबाद। यूनेस्को ने पाकिस्तान में उर्दू के अत्यधिक प्रयोग को लेकर चेतावनी दी है। यूनेस्को ने कहा है कि पाकिस्तानी स्कूलों में उर्दू का लगातार प्रयोग इस देश को राजनीतिक तनाव की ओर ले गया है।
यूनेस्को ने सिफारिश की है कि बच्चों को उसी भाषा में शिक्षा देनी चाहिए जिसे वे समझते हैं। यूनेस्को ने यह बात 21 फरवरी को 'मातृ भाषा दिवस' के अवसर पर पॉलिसी लेटर जारी करते हुए कही।
यूनेस्को ने आज तुर्की, नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश और ग्वाटेमाला में विविध जातीय समाजों का हवाला दिया। यूनेस्को ने इस बात की सिफारिश की कि बच्चों को उस भाषा में शिक्षा दी जाए जिन्हें वे समझते हैं।
यूनेस्को ने शुक्रवार को प्रकाशित अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान के सरकारी स्कूलों में उर्दू भाषा को निर्देश भाषा की तरह लगातार प्रयोग किए जाने ने भी राजनीतिक तनाव को बढ़ाया है।
हालांकि पाकिस्तान में आठ प्रतिशत से भी कम आबादी उर्दू भाषा बोलती है। यूनेस्को ने कहा कि आजादी के बाद पाकिस्तान ने अपना गठन होने पर राष्ट्रभाषा के रूप में और स्कूलों में निर्देश भाषा के तौर पर उर्दू का प्रयोग स्वीकार किया था।
यह एक ऐसे देश में अलगाव की भाषा बन गया जो छह बड़े भाषायी समूहों और 58 छोटे भाषायी समूहों का स्थान है।