पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दे पर मात देगा मोदी का बलूचिस्तान दांव?
दिल्ली। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से बलूचिस्तान, गिलगिट और पीओके का मुद्दा उठाकर पिछले कई महीनों से चले आ रहे उस स्क्रिप्ट का क्लाइमेक्स लिख दिया जिसमें बार बार मोदी सरकार की तरफ से संकेत दिए जा रहे थे कि पाकिस्तान जिस तरह कश्मीर मुद्दे को उछालकर भारत को परेशान करता रहा है उसी तरह अब भारत भी आक्रामक रवैया अपनाते हुए उसके तीनों इलाकों में आजादी के लिए चल रहे विरोध आंदोलनों का इस्तेमाल कर क्षेत्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर पलटवार करेगा।
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पीएम ने लगभग 100 मिनट लंबे भाषण के आखिरी क्षणों में ऐसी बातें कहीं जिससे पाकिस्तान के साथ संबंध को लेकर अब तक चली आ रही भारतीय विदेश नीति का रुख ही पलटता नजर आ रहा है।
नरेंद्र मोदी ने पहले पाकिस्तान पर बिना नाम लिए निशाना साधते हुए उसको आतंकवाद को महिमामंडित करने वाला और आतंकियों के मरने पर जश्न मनाने वाला बताया। प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी हिज्बुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद पाकिस्तान द्वारा उसको महिमामंडित किए जाने को लेकर था।
इसके ठीक बाद मोदी ने कहा, 'पिछले कुछ दिनों से बलूचिस्तान, गिलगिट और पीओके के लोगों ने जो मेरा अभिनंदन किया है, उसके लिए मैं आभार व्यक्त करता हूं।' पीएम मोदी ने 12 अगस्त, शुक्रवार को कश्मीर मुद्दे पर हुई ऑल पार्टी मीटिंग में बलूचिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघन के मुद्दे को उठाया था और पीओके को भारत का हिस्सा बताया था। मोदी के उस वक्तव्य का बलूचिस्तान और पीओके के लोगों ने स्वागत किया था और वहां 13 अगस्त को आजादी के लिए पाकिस्तान विरोधी आंदोलन और तेज हो गया था।
लाल किले से मोदी ने बलूचिस्तान, गिलगिट और पीओके का मुद्दा उठाकर यह साफ कर दिया है कि पाकिस्तान के खिलाफ क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अब इसी मोहरे का इस्तेमाल करके उसे कश्मीर मुद्दे पर करारा जवाब दिया जाएगा।
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बुरहान वानी की मौत से पलटी विदेश नीति
आजादी के बाद से पाकिस्तान के खिलाफ भारत की नीति कमोबेश सुरक्षात्मक रही है। कश्मीर की आजादी के मुद्दे को लेकर पाकिस्तान भारत पर संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएन) से लेकर दुनियाभर में कीचड़ उछालता रहा है और भारत हमेशा सुरक्षात्मक होकर उसका जवाब देता रहा है। भारतीय विदेश नीति में कभी वो आक्रामकता नहीं दिखी जो अगस्त 2016 में दिख रही है
हालांकि बलूचिस्तान, गिलगिट और पीओके में आजादी के लिए आंदोलन काफी दिनों से चल रहे हैं। वहां पाकिस्तान के खिलाफ लोग नारे लगाते सड़कों पर उतरते रहे हैं जिसको पाकिस्तान की सेना क्रूरता से दबाती रही है। पाकिस्तान इन इलाकों में अलगाववादी गतिविधियों के लिए भारत को दोषी ठहराता रहा है लेकिन भारत अब तक खुलकर इन इलाकों की आजादी के समर्थन में नहीं आया था। इन इलाकों का पाकिस्तान के खिलाफ आक्रामक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने के संकेत पहले नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजीत डोवाल ने दिए थे। विदेश नीति में इस परिवर्तन की भूमिका कई महीनों से लिखी जा रही थी।
अप्रैल से अगस्त तक बनी विदेश नीति पलटने की भूमिका
अप्रैल 2016 में बलूचिस्तान में पाकिस्तान से आजादी का आंदोलन तेज हुआ तो मोदी सरकार का समर्थन पाने के लिए निर्वासित बलोच नेता नेला कादरी ने भारत का दौरा किया। इस दौरे में नेला कादरी ने बताया कि बलूचिस्तान में मानवाधिकार का उल्लंघन कर पाकिस्तानी सेना कितनी बर्बरता से वहां चल रहे पाकिस्तान विरोध को दबाने में लगी है। नेला कादरी ने बलूचिस्तान की आजादी के समर्थन की गुहार मोदी सरकार से लगाई थी। उसके बाद से लगातार बलूचिस्तान सहित गिलगिट-बाल्टिस्तान और पीओके के इलाकों में पाकिस्तान विरोध का सिलसिला चल रहा है और इसमें भारत के हस्तक्षेप की मांग होती रही है।
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8 जुलाई 2016 को आखिरकार ऐसी घटना हुई जिससे भारत को बलूचिस्तान, गिलगिट और पीओके की तरफ देखने पर मजबूर होना पड़ा। इस दिन कश्मीर में हिज्बुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी सुरक्षाबलों के साथ एनकाउंटर में मारा गया जिसके बाद कश्मीर में हिंसा और आतंकी घटनाओं की बाढ़ आ गई जो थमने का नाम नहीं ले रही।
बुरहान की मौत के बाद भड़की हिंसा और उसको शहीद घोषित कर कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाला पाकिस्तान का रवैया अब तक चली आ रही विदेश नीति की ताबूत में आखिरी कील ठोंकने वाला रहा।
बुरहान की मौत पर पाक सेंकने लगा 'कश्मीर' की रोटी
9 जुलाई से कश्मीर में हिंसा और अशांति को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान ने बुरहान वानी की मौत का इस्तेमाल करना शुरू किया। प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने बुरहान को शहीद बताते हुए 19 जुलाई को पाकिस्तान में काला दिवस मनाने की घोषणा की। नवाज शरीफ ने यूएन को कश्मीर मुद्दे पर पत्र लिखकर फिर से इस मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उछाला। शरीफ ने भारत पर कश्मीर में मानवाधिकार का उल्लंघन करने का आरोप लगाया और कहा कि कश्मीरियों की आवाज को दुनिया तक पहुंचाएंगे।
एक और भड़काऊ काम करते हुए पाकिस्तान ने स्पेशल आजादी ट्रेन को बुरहान वानी के पोस्टरों से पाट दिया। ट्रेन में कश्मीरियों को हिंसा के लिए उकसाने वाले पोस्टर लगाए गए। बुरहान की मौत के बाद कश्मीर में भड़की हिंसा ने मोदी सरकार को पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी नीति अपनाने पर मजबूर कर दिया।
पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी नीति अपनाने के लिए बनी आखिरी भूमिका
10 अगस्त को कश्मीर हिंसा पर राज्यसभा में बयान देते हुए गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को चेताते हुए कहा कि अब बात कश्मीर पर नहीं, पीओके पर होगी। इसके बाद 12 अगस्त को पीएम नरेंद्र मोदी ने कश्मीर मुद्दे पर आयोजित सर्वदलीय बैठक में लगभग यही बयान दिया। उन्होंने कश्मीर में हिंसा को लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराया। मोदी ने बलूचिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघन का मामला उठाते हुए कहा कि जम्मू, कश्मीर और लद्दाख की तरह पीओके भी भारत का हिस्सा है। पाकिस्तान से अब पीओके पर बात होगी।
मोदी के इस बयान का स्वागत बलूचिस्तान समेत पीओके और गिलगिट इलाके के लोगों ने किया और 13 अगस्त से वहां पाकिस्तान विरोधी गतिविधियों में तेजी आ गई। इसी दिन जम्मू के कठुआ में तिरंगा यात्रा शुरू करते हुए केंद्रीय राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस यात्रा का समापन पीओके में तिरंगा लहराकर होना चाहिए। उन्होंने पीएम मोदी से पीओके को पाकिस्तान के चंगुल से आजाद करवाकर जम्मू कश्मीर का हिस्सा बनाने का आह्वान किया।
14 अगस्त को 70वां स्वतंत्रता दिवस मनाने के दौरान पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने कश्मीरियों को आत्मनिर्णय का अधिकार दिलाने की कोशिश को समर्थन देने की बात कही। दिल्ली में पाकिस्तान की आजादी की सालगिरह मनाते हुए उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने भड़काऊ बयान देते हुए कहा कि इस साल की जश्न ए आजादी हम कश्मीर की आजादी के नाम करते हैं।
पाकिस्तान ने फिर एक बार कश्मीर मुद्दे को उछालकर भारत को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की। इसका जवाब देते हुए 15 अगस्त को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बलूचिस्तान, गिलगिट और पीओके का मुद्दा लाल किले की प्राचीर से उठाकर पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा कर दिया। इसके बाद अब यह तय माना जा रहा है कि भारतीय विदेश नीति में एक बड़े बदलाव के तहत पाकिस्तान को कश्मीर का जवाब बलूचिस्तान से दिया जाएगा।
बलूच नेताओं ने किया मोदी के बयान के लिए शुक्रिया
बलूचिस्तान के मुद्दे को लाल किले से उठाने पर वहां की आजादी के लिए लड़ रहे नेताओं ने मोदी को शुक्रिया कहा है। पीएम मोदी को धन्यवाद देते हुए बलूच रिपब्लिकन पार्टी के नेता अशरफ शेरजान ने जय हिंद का नारा लगाते हुए भारत और बलूचिस्तान के एक साथ स्वतंत्रता दिवस मनाने की बात कही। पार्टी अध्यक्ष ब्राहुम बाग बुगती ने पीएम के भाषण का स्वागत करते हुए कहा कि अमिताभ बच्चन और शाहरुख खान को बलूचिस्तान पर फिल्म बनानी चाहिए।
फूंक फूंक कर भारत को रखना होगा कदम
बलूचिस्तान की आजादी का मसला पेंचीदा है। बलूच लोग सिर्फ पाकिस्तान में स्थित बलूचिस्तान को ही आजाद नहीं कराना चाहते बल्कि पड़ोसी ईरान और अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों को भी आजाद करना चाहते हैं। ईरान से भारत के रिश्ते मधुर हैं जबकि उससे बलूचों के रिश्ते खराब हैं। इसलिए इसकी आजादी की रूपरेखा बनाना मुश्किल होगा। जिस तरह बांग्लादेश को भारत ने पाकिस्तान के चंगुल से आजाद कराया था, बलूचिस्तान की आजादी का मसला उतना आसान नहीं है।
अगर बलूचिस्तान की आजादी को भारत समर्थन देता है तो ईरान से उसके रिश्ते खराब हो सकते हैं। इसलिए भारत इस मामले में ईरान के हितों की अनदेखी नहीं कर सकता। पाकिस्तान और चीन को गठजोड़ के खिलाफ सामरिक रणनीति में ईरान भारत का साझीदार है। पाक-चीन के ग्वादर पोर्ट के जवाब में ईरान और भारत मिलकर चाहबार पोर्ट का विकास कर रहे हैं।
क्षेत्र में चीन और अमेरिका का दखल
बलूचिस्तान का इलाका दक्षिणी एशिया में सामरिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है।. यहां के ग्वादर में पाकिस्तान की मदद से चीन नेवी बेस बना रहा है जहां से वह भारत पर कड़ी नजर रख सकता है। इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती ताकत पर अमेरिका की नजर है इसलिए बलूचिस्तान में चल रही राजनीति में उसकी भी दिलचस्पी है।
एक तरफ जहां भारत की विदेश नीति में पाकिस्तान के खिलाफ बलूचिस्तान के मुद्दे को इस्तेमाल करने की तैयारी हो रही है वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान भी कश्मीर मुद्दे को उछालना जारी रखे हुए है। पाकिस्तान इस बीच बार बार भारत को कश्मीर मुद्दे पर बातचीत के लिए आमंत्रित कर रहा है जबकि भारत इसके लिए मना कर चुका है और यह जता चुका है कि बात अब कश्मीर पर नहीं , पीओके पर होगी। इस बीच बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री ने वहां के निर्वासित नेताओं को बातचीत करने के लिए पाकिस्तान बुलाया है।
कुल मिलाकर जबसे भारत ने बलूचिस्तान को मोहरे के तौर पाकिस्तान के खिलाफ इस्तेमाल करना शुरू किया है तबसे पाकिस्तान की तिलमिलाहट साफ दिख रही है। इसका जवाब पाकिस्तान कैसे देगा और भारत के विदेश नीति का क्या रुख होगा, इसका आंकलन दुनियाभर में जारी है।
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