तहरीक-ए-तालिबान पर अंकुश लगाने में कमजोर पाक
इस्लामाबाद। अभी आपने पढ़ा (CLICK ON PREVIOUS) कि कैसे मंगलवार को पेशावर में एक हमले के साथ ही पूरी दुनिया सहम गई थी। जानिए कि आखिर क्यों पाक तहरीक-ए-तालिबान को रोकने में पाकिस्तान पूरी तरह से असफल साबित हुआ है और क्यों इस खतरनाक आतंकी संगठन ने सिर्फ आर्मी स्कूल को अपना निशाना बनाया।
फंडिंग पर लगानी होगी लगाम
वाशिंगटन स्थित वूड्रू विल्सन इंटरनेशनल सेंटर फॉर स्कॉलर्स में साउथ ईस्ट एशिया से जुड़े सीनियर प्रोग्राम एसोसिएट माइकल कुगेलमैन मानते हैं कि पाक इस संगठन पर सही तरीके से कंट्रोल नहीं लगा पा रहा है।
वनइंडिया के साथ हुई एक खास बातचीत में उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा संगठन है जिसके खिलाफ लड़ाई इतनी आसान नहीं है जितनी लगती है। पाक सेना की ओर से संगठन को खत्म करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है।
कई पिछड़े इलाकों में इस संगठन के नेताओं और लड़ाकों को मारा गया है लेकिन पाक को सही कदम उठाना होगा। इस संगठन को होने वाली फंडिंग और इसके स्त्रोत पर लगाम लगानी होगी।
पाक को इस तरह के कदम उठाने होंगे जो चरमपंथी विचारधारा को पनपने से रोकें। वह मानते हैं कि यह पाक के लिए आसान नहीं होगा। अगर ऐसा हो सकता है तो तालिबान की कमर टूट सकती है।
पाक सेना की वजह से हुआ हमला
कुगेलमैन कहते हैं कि पेशावर में हुए हमले के पीछे टीटीपी का मकसद एकदम साफ है। जैसा कि उनके प्रवक्ता ने भी कहा है कि नॉर्थ वजिरिस्तान में पाक सेना की ओर से चलाए जा रहे अभियान से बदला लेने के लिए यह हमला
किया गया। वह कहते हैं कि आर्मी पब्लिक स्कूल पर हुआ हमला पाक सेना पर किया गया हमला है न कि किसी स्कूल पर।
बच्चों की हत्या करके तालिबान ने साबित कर दिया कि वह अभी तक कमजोर नहीं पड़ा है। वह इससे पहले कई दफा स्कूलों को निशाना बना चुका है। तालिबान मानता है कि यह सिर्फ एक तरह का नियंत्रण है और इसलि ए वह इस तरह की हरकतों में शामिल है।
बढ़ सकते हैं ऐसे हमले
वह मानते हैं कि कुछ लोगों ने माना कि इस तरह का हमला करके तालिबान की ओर से अपनी कमजोर सोच को दुनिया के सामने लाया गया है लेकिन कुगेलमैन मानते हैं कि टीटीपी अब उस ताकत में तब्दील हो गया है जो इस तरह के कई निर्दयी हरकतों को अंजाम दे सकता है।
कु्गेलमैन ने इसके साथ ही यह भी कहा कि तालिबान अब उस ताकत तक ही सिमट गया है जहां वह स्कूल के बच्चों की तरह कमजोर और कम सुरक्षित लक्ष्यों को अपना निशाना बनायेगा। ऐसे में आने वाले समय में हमें पेशावर जैसे हमलों में इजाफा देखने को मिल सकता है।
सेना की कार्रवाई से कमजोर हुआ टीटीपी
कुगेलमैन कहते हैं कि ड्रोन हमलों और सेना की ओर से आक्रामक कार्रवाई में तहरीक-ए-तालिबान कमजोर जरूर हुआ है। इसके साथ ही साथ वह कई टुकड़ों में भी बंट चुका है। इसके बावजूद वह खतरनाक बना हुआ है क्योंकि यह भले ही कितना कमजोर हो जाए इसका ताल्लुक आतंकी ताकतों के साथ बराबर बना रहेगा।
यह आज भी अल कायदा से जुड़ा हुआ है और जून में कराची एयरपोर्ट पर हुआ हमला इसका साफ सुबूत था। भले ही पाक तालिबान कमजोर पड़े लेकिन इस बात में कोई शक नहीं है कि कई आतंकी इसकी मदद को हर पल तैयार रहेंगे।