इस रिपोर्ट में खुल गई पाक में मानवाधिकारों की कलई, जानें क्या करती है पाक पुलिस दोषियों के साथ
नई दिल्ली। भारत के अंदरूनी मामलों में दखल देकर उसके नागरिकों के मानवाधिकारों पर खास नजर रखने वाले पाकिस्तान की कलई खुल गई है।
पूरी दुनिया में मानवाधिकारों के हालात पर नदर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था ने अपने रिपोर्ट में खुलासा किया है कि पाकिस्तानी पुलिस मनमाने ढंग से गिरफ्तारी, यातना, गैर न्यायिक हत्या और यौन हिंसा करती है।
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संवेदनशील हैं हालात
102 पन्ने की रिपोर्ट में ह्यूमन राइट्स वाच ने कहा कि पाकिस्तानी पुलिस के भ्रष्ट अधिकारियों के चलते धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति विशेषतः संवेदनशील है।
संस्था के इस रिपोर्ट में बलूचिस्तान, सिंध और पंजाब प्रांत में पुलिस उत्पीड़न के शिकार हुए लोगों, गवाहों के साथ-साथ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साक्षात्कार शामिल हैं।
रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2015 में पुलिस ने 2000 से ज्यादा फर्जी मुठभेड़ किए हैं।
संस्था की रिपोर्ट में माग की गई है कि पाकिस्तान पुलिस के तंत्र में बड़े स्तर पर बदलाव किए जाएं। मौजूदा तंत्र मानवाधिकार के गंभीर उल्लंघन को शह दे रहा है।
पुलिस अक्सर करती है प्रताड़ना
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रिपोर्ट के मुताबिक अपराध से जुड़े मामलों की जांच में पुलिस अक्सर प्रताड़ना करती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि शरणार्थियों, गरीबों, धार्मिक अल्पसंख्यकों, भूमिहीनों और हाशिए पर समूहों के लोग ज्यादातर पुलिस के उत्पीड़न का शिकार होते हैं।
बताया गया है कि पाकिस्तान की पुलिस बैटन से पिटाई, पैरों को मेटल रॉड्स से खींचना और तोड़ना, यौन हिंसा, लंबे समय तक दोषी को सोने न देना, मानसिक प्रताड़ना, सरीखे तरीके अपना कर मानवाधिकारों का उल्लंघन करती है।
सुरक्षा की चुनौती
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हालात पर चिंता जाहिर करते हुए ह्यूमन राइट्स वाच, एशिया के निदेशक ब्रैड एडम्स ने कहा कि पाकिस्तान बड़े स्तर पर सुरक्षा की चुनौती का सामना कर रहा है जो अधिकारों का सम्मान कर के और जिम्मेदार पुलिस बल से संभाला जा सकता है।
रिपोर्ट में पाक पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि पुलिस बल शारीरिक बल इस्तेमाल करती है, क्योंकि इन्हें पेशेवर जांच और फोरेंसिक विश्लेषण की ट्रेनिंग नहीं मिली है।