परवेज मुर्शरफ के लिए बेचैन पाकिस्तान की सेना और ISI
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के 90 प्रतिशत सेना अधिकारी परवेज मुर्शरफ को अपना समर्थन दे रहे हैं। पाक की वेबसाइट दुनियान्यूज में पाक के पूर्व सेनाधिकारी और पाक सेना के पूर्व प्रवक्ता राशिद कुरैशी की ओर से एक बयान छपा है। इस बयान में कुरैशी ने यह बात कही है।
उन्होंने कहा है कि पाक सेना राजद्रोह और हत्या के केस में मुर्शरफ के साथ है। बात भले ही राजद्रोह के केस को लेकर कही गई है लेकिन साफ है कि पाक सेना और आईएसआई मुर्शरफ की वापसी के लिए बेचैन है।
रणनीति
का
हिस्सा
हैं
कश्मीर
पर
आए
बयान
पाकिस्तान
के
पूर्व
राष्ट्रपति
परवेज
मुर्शरफ
वर्ष
1999
में
हुए
कारगिल
वॉर
के
लिए
जिम्मेदार
हैं
और
इस
समय
राजद्रोह
और
हत्या
के
मुकदमों
को
झेल
रहे
हैं।
गुरुवार को उनकी ओर से कश्मीर पर आए एक बयान ने खूब हलचल मचाई। विशेषज्ञों की मानें तो कश्मीर पर मुशर्रफ का यह बयान ऐसे ही नहीं आया है बल्कि इसके पीछे एक सोची समझी रणनीति है। एक ऐसी रणनीति जिसे पाक सेना और आईएसआई की ओर से पूरा समर्थन मिल रहा है।
कश्मीर पर पकड़ के लिए जरूरी हैं मुर्शरफ
वर्ष 1999 के कारगिल वॉर के बाद पाक की ओर से अक्सर ही बड़े स्तर पर युद्ध छेड़ने के प्रयास किए गए हैं। जनवरी 2013 में कृष्णा घाटी की घटना इसका साफ प्रमाण है। हालांकि पाक को कभी भी इसमें सफलता नहीं मिल सकी है। वहीं अतंराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर पर पाक के रुख को कभी भी समर्थन नहीं मिला है।
हाल ही में यूनाइटेड नेशंस और अमेरिका ने भी उसे कश्मीर मुद्दे पर किनारे कर दिया है। दुनिया में अलग-थलग पड़े पाक और इसकी कमजोर होती सेना को अब मुर्शरफ से ही उम्मीदें हैं।
अमेरिका के लीडिंग डेली वॉल स्ट्रीट जनरल के मुताबिक जिस समय अप्रैल में परवेज मुर्शरफ पर हत्या और राजद्रोह का केस चलाया गया था, उसी समय पाक सेना प्रमुख राहील शरीफ की ओर से इस पर विरोध दर्ज कराया गया था।
इस्लामाबाद में अशांति
इस्लामाबाद में अगस्त में जो विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ है, वह भी कहीं न कहीं इसी बात का इशारा करता है। पाक विशेषज्ञों की मानें तो इस्लामाबाद के विरोध प्रदर्शन को आईएसआई और सेना का अप्रत्यक्ष समर्थन मिल रहा है।
नवाज शरीफ की पकड़ को अगर कमजोर कर दिया गया तो फिर मुर्शरफ को सक्रिय राजनीति में वापस लाना सेना के आसान हो सकेगा।