जब नवाज शरीफ ने 'बैड' तालिबान की मदद से जीता चुनाव
इस्लामाबाद। अभी आपने (CLICK ON PREVIOUS)जाना कि गुड और बैड तालिबान क्या है और इसका भारत पर क्या असर पड़ने वाला है। अब पढ़िए कि कैसे वर्ष 2013 में नवाज ने इसी संगठन की मदद से चुनाव जीता था।
लोग हैरान रह गए
बुधवार को जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने मीडिया को संबोधित करते हुए आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान के लिए 'गुड एंड बैड तालिबान' इस शब्द का प्रयोग किया तो कई लोग सोच में पड़ गए।
नवाज शरीफ की इस बात पर ज्यादा हैरानी नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह नवाज ही थे जिन्होंने टीटीपी को शांति वार्ता के लिए आमंत्रित किया था। भले ही उनका यह बयान कई लोगों को काफी अच्छा लगे लेकिन हकीकत यही है कि यह बस एक कोरा बयान बनकर रह जाएगा।
आईएसआई शांति वार्ता के खिलाफ
वर्ष 2013 में जिस समय नवाज पाक के चुनावों में लड़ने की तैयारी कर चुके थे उसी समय उन्होंने तालिबान को शांति वार्ता के लिए बुलाया था। पूरी दुनिया जानती है कि टीटीपी ने नवाज पाक के प्रधानमंत्री बनने के लिए जरूरी चुनावों में जीत हासिल करने में किस हद तक मदद की थी।
शांति वार्ता के लिए टीटीपी की ओर से रूचि भी दिखाई गई थी लेकिन उस समय के सेना प्रमुख जनरल कियानी ने इस शांति वार्ता में अड़चनें पैदा कर दी।इसके बाद पाक सेना और आईएसआई दोनों ने मिलकर टीटीपी में फूट डालने की रणनीति तैयार कर डाली थी।
पाक सेना ने टीटीपी के खिलाफ जर्ब-ए-अज्ब के नाम से एक ऑपरेशन की शुरुआत कर डाली और इसमें कई आतंकियों की मौत भी हो गई। इसके बाद से पाक को हर दिन किसी न किसी बड़ी आतंकी चुनौती का सामना करने को मजबूर होना पड़ रहा है।
नवाज की कोरी उम्मीदें
कई लोग मानते हैं कि भले ही नवाज के इरादे ठीक हों लेकिन वह कभी भी इसमें सफलता नहीं हासिल कर सकते क्योंकि पाक सेना और आईएसआई उन्हें इसकी इजाजत नहीं देगी।
आईएसआई और पाक सेना बैड तालिबान को क्षेत्र से बाहर रखना चाहता है। वहीं टीटीपी भी इस बात को जानता है कि पाक सेना के इरादे उसके लिए ठीक नहीं हैं। ऐसे में यह संगठन नियंत्रण के बाहर होता जा रहा है।
वहीं दूसरी ओर पाक सेना और आईएसआई मुल्ला उमर वाले गुड तालिबान के बिना टीटीपी के खिलाफ सफलता नहीं हासिल कर सकते हैं। पिछले कुछ वर्षों के दौरान अफगानिस्तान वाले तालिबान यानी मुल्ला उमर के संगठन का ध्यान कश्मीर की ओर आकर्षित हुआ है।
इसी बात ने पाक सेना और आईएसआई को अहसास करा डाला है कि गुड तालिबान कश्मीर और अफगानिस्तान में उसके हितों के लिए फायदेमंद है।
पाक सेना अफगानिस्तान में इसी वजह से गुड तालिबान को ट्रेनिंग दे रही है ताकि नाटो सेना के जाने के बाद वह यहां पर अपना नियंत्रण स्थापित कर सके और यहां से कश्मीर की लड़ाई जारी रखे। लश्कर और आईएसआई बैड तालिबान को बाहर रखने के लिए गुड तालिबान का प्रयोग कर रही है।