जानिए लश्कर कैसे करता है आतंकियों का रिक्रूटमेंट
लाहौर। उधमपुर आतंकी हमले में जिंदा पकड़े गए आतंकी मोहम्मद नावेद उर्फ उस्मान खान उर्फ कासिम खान लश्कर -ए-तैयबा का वह आतंकी है जो संगठन के बारे में कई अहम जानकारियां एजेंसी को दे रहा।
अब कासिम ने एजेंसियों को बताया है कि आखिर लश्कर कैसे पाकिस्तान में हालात के मारे मजबूर युवाओं और उनके अभिभावकों को बरगला रहा है। कैसे वह संगठन के लिए युवाओं का चयन कर रहा है और कैसे एक नहीं हजारों कसाब और कासिम वहां तैयार किए जा रहे हैं।
पिता को दी थी जान से मारने की धमकी
कासिम ने जो जानकारियां दी हैं उसके मुताबिक उसके पिता के पास ज्यादा विकल्प नहीं थे। वह किसी भी तरह से संगठन को कासिम के लिए न करने की स्थिति में नहीं थे। लश्कर ने उसके पिता को साफ कर दिया था कि उनके तीन बेटों में से एक को तो उसके साथ आकर भारत के खिलाफ लड़ाई लड़नी ही पड़ेगी।
दो वर्षों से घर आ रहा था लश्कर का जासूस
कासिम के मुताबिक लश्कर की ओर से एक व्यक्ति पिछले दो वर्षों से उसके घर पर आता जाता था। पहले तो उसने उसके पिता को शांति से समझाया लेकिन जब उन्होंने मना कर दिया गया तो उन्हें डराया धमकाया जाने लगा। कासिम के पिता को धमकी दी गई कि अगर कासिम को नहीं भेजा गया तो फिर लश्कर की फौज उन्हें मार डालेगी।
कासिम के पिता को भले ही इस पर ऐतराज हो लेकिन नौकरी की तलाश में भटकने वाले कासिम को इससे कोई ऐतराज नहीं था। कासिम के पिता को लश्कर और पाक सेना दोनों की ओर से जान से मारने की धमकी दी गई थी।
खुदा और शोहरत का हवाला
पाक में अक्सर खुदा के नाम पर लश्कर और बाकी आतंकी संगठनों की ओर से इस तरह से ही युवाओं को भर्ती किया जाता है। उन्हें समझाया जाता है कि खुदा के काम को अंजाम देंगे तो उन्हें शोहरत हासिल होगी।
पाक में लश्कर के लिए युवाओं की भर्ती में आईएसआई का बड़ा समर्थन संगठन को हासिल है। आईएसआई और सेना की ओर से कई तरह के कैंपों लगाए जाते हैं जिनमें युवाओं का चयन होता है। इसके बाद उन्हें आतंकी कैंपों में भेज दिया जाता है। आतंकी इस बात को सुनिश्चित करते हैं कि कैंप में आने वाले युवाओं के घर पर अच्छी खासी रकम भेजी जाएगी।
हर गांव का डाटाबेस लश्कर के पास
कैंप में शामिल होने से इंकार करने पर लोगों को डराया और धमकाया जाता है। कभी कभी इसके लिए सेना की मदद तक ली जाती है। सेना की वर्दी में आए व्यक्ति को देखकर किसी का भी न कहना काफी मुश्किल हो जाता है।
हैरानी की बात है कि लश्कर के पास पाक के हर गांव का डाटाबेस मौजूद है। इस डाटाबेस को भी सरकारी एजेंसी की ओर से उसे मुहैया कराया जाता है। इसी डाटाबेस के जरिए युवाओं को चुना जाता है। लश्कर अक्सर ऐसे घरों को प्राथमिकता देता है जहां पर एक से ज्यादा लड़के हों।