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पीएम मोदी की नोटबंदी का असर, कुत्ते और दूसरे जानवर भूख से परेशान

नोटबंदी का बुरा असर सिर्फ आम आदमी पर नहीं पड़ा है। पशुओं को भी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है।

By Rajeevkumar Singh
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दिल्ली। 500 और 1000 के नोट बैन होने की वजह से आम आदमी तो मुश्किल झेल ही रहा है, जानवर भी इसके बुरे असर से अछूते नहीं हैं। नोटबंदी के बाद करेंसी का अकाल पड़ा है जिस वजह से देशभर में कुत्ते और गाय जैसे जीवों को एनिमल लवर्स खिला नहीं पा रहे हैं। पशुओं के शेल्टर होम का भी बुरा हाल है जहां जानवर भूखे रहने को मजबूर हैं।

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'कैश मत दीजिए, खाना डोनेट कीजिए'

नोएडा में आवारा घूमने वाले पशुओं के लिए शेल्टर होम चला रहा एनजीओ भी संकट में है। हाउस ऑफ स्ट्रे एनिमल्स के फाउंडर संजय महापात्र का कहना है कि 9 और 10 नवंबर को तो पशुओं को खिलाने के लिए दुकानदारों से ब्रेड उधार मांगने पड़े। भूखे रहने के वजह से पशु आक्रामक हो गए थे।

इस एनजीओ में 125 कुत्ते और दो बंदर हैं। संजय महापात्र ने लोगों से अपील की है कि वे 500 और 1000 के कैश के बदले खाना डोनेट करें। 11 नवंबर को एनजीओ की हालत खराब थी क्योंकि पशुओं के लिए खाना नहीं था लेकिन एक ब्रेड कंपनी ने समय पर मदद की।

इस बारे में संजय ने कहा कि उनको कुत्तों को खिलाने के लिए रोज ब्रेड के 150 पैकेट की जरूरत है लेकिन कंपनी सिर्फ 70-75 पैकेट ही दे पा रही है। जानवरों को खिलाने के लिए रोज का बजट 2,500 रुपए है।

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पशुओं को खिलाने के लिए ले रहे उधार

गाजियाबाद के एक एनिमल एक्टिविस्ट को भी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। एक एनिमल वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन में अधिकारी सौरभ गुप्ता रोज अपने इलाके के 15-20 कुत्तों को बिस्किट और ब्रेड खरीदकर खिलाते हैं। नोटबंदी के बाद उनके पास कैश नहीं बचा। स्थानीय दुकानदारों ने अगले 10-15 दिन तक उनकी मदद करने का वादा किया है और उधार पर खाने का सामान दे रहे हैं।

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दो दिन बाद हो सका कैश का इंतजाम

गाजियाबाद में पशुओं के लिए शेल्टर होम चला रहीं सुमाथी अय्यर को कैश का इंतजाम करने में दो दिन लग गए। उन्होंने कहा, 'हमारा एक स्टाफ पोस्ट ऑफिस की लंबी लाइन में दिनभर खड़ा रहा, तब जाकर पशुओं को खिलाने के लिए कैश का इंतजाम हो पाया।' उनके शेल्टर होम में 66 गायें, 45 कुत्ते हैं। पशुओं के भोजन पर खर्च होनेवाला उनका रोजाना बजट 1000 रुपए का है।

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'पशुओं के हॉस्पिटल में भी लिए जाएं 500-1000 के नोट'

दिल्ली में एनिमल शेल्टर होम चला रहीं गीता शेषमणि का कहना है कि नोटों पर पाबंदी के बाद इंसान जितना झेल रहे हैं उतने ही मुश्किलों से जानवर भी गुजर रहे हैं।

शेषमणि ने कहा, 'इंसानों के हॉस्पिटल में तो सरकार ने 500 और 1000 के नोट लेने को मंजूरी दी है लेकिन जानवरों के हॉस्पिटल के लिए ऐसा कोई आदेश नहीं है। सरकार को जानवरों के लिए कुछ करना चाहिए।'

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English summary
After note ban in India, not only common people are suffering but animals are also facing the heat of demonetization.
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