सुप्रीम कोर्ट ने दिया निजी स्कूलों को झटका, बिना दिल्ली सरकार की मंजूरी के नहीं बढ़ा सकते फीस
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीा जे एस खेहर के अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि अगर स्कूल दिल्ली सरकार की इन शर्तों को नहीं मान सकते हैं तो उन्हें स्कूल बंद कर देना चाहिए।
नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए सोमवार को कहा कि दिल्ली विकास प्राधिकरण की जमीन पर चल रहे निजी स्कूल, बिना दिल्ली सरकार की मंजूरी के फीस नहीं बढ़ा सकते हैं। दिल्ली के निजी स्कूलों ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीा जे एस खेहर के अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि अगर स्कूल दिल्ली सरकार की इन शर्तों को नहीं मान सकते हैं तो उन्हें स्कूल बंद कर देना चाहिए।
इससे पहले स्कूलों ने दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट एंड रुल्स 1973 (डीएसईएआर) भी कहता है कि स्कूलों को अपनी फीस बढ़ाने का हक है। गौरतलब है कि राजधानी में 400 से अधिक स्कूल डीडीए की जमीन पर चल रहे हैं। निजी स्कूलों की एक्शन कमेटी के अध्यक्ष एस. के. भट्टाचार्य का कहना था कि दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले में बहुत कमियां हैं। दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट एंड रुल्स 1973 के आर्टिकल 17 सी के आधार पर स्कूलों को अपनी फीस तय करने का अधिकार है। इस नियम के तहत ही निजी स्कूलों को फीस बढ़ाने के लिए शिक्षा निदेशालय से इजाजत लेने की जरूरत नहीं।