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अब ‘आप’ में केजरीवाल के साथ रहेंगे चापलूसी करने वाले

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नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) कल प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव को आम आदमी पार्टी (आप) के अंदर जिस तरह से अपमानित किया गया उसके चलते अरविंद केजरीवाल से बहुत से लोगों का मोहभंग हो गया।

अब लगता है कि आप कोई दूसरे दलों से अलग नहीं हैं। यहां पर भी शिखर पर विराजमान नेताओं के खिलाफ आवाज उठाने वालों के लिए कोई स्पेस नहीं है। जो बोलेगा,उसे निकाला जाएगा। वहां कल यही हुआ। कहने वाले कह रहे हैं कि केजरीवाल घटिया आदमी निकला। दूसरे नेताओं जैसा ही है यह आदमी। संजय सिंह, आशुतोष जैसे चापलूसों और जी-हुजूरियों की फ़ौज बचेगी 'आप' में।

सारा गेम प्लान रचा

केजरीवाल सारा गेम प्लान एडवांस में रचने के बाद खुद को बीमार बता बेंगलोर चला गया और चेलों ने योगेन्द्र-प्रशांत को निपटा दिया। एक पत्रकार ने तो कहा कि केजरीवाल की महानता झूठी है। वह नौटंकीबाज हैं केजरी बाबू। उसकी आत्मा कतई डेमोक्रेटिक नहीं है। वह तानाशाह और आत्मकेंद्रित व्यक्ति है। उसमें और दूसरी पार्टियों के आलाकमानों में कोई फर्क नहीं है।

कहने वाले यहां तक कह रहे हैं कि केजरीवाल के पास चापलूसों की जमात है। जो सिर्फ केजरीवाल की वजह से ही जाने पहचाने जाते हैं। चाहे वह संजय सिंह हों अथवा दिलीप पांडेय हों अथवा कोई और हो इस पार्टी की पीएसी में कुछ लोगों को छोड़ दिया जाए तो बाकियों को कौन जानता है।

कौन हैं संजय सिंह

सारे केजरीवाल की परछाई हैं। ये संजय सिंह कौन हैं? इनका खुद का वजूद क्या है? लेकिन लोकतंत्र में जो चमचागिरी करने में माहिर हैं वो हमेशा मौज में रहते हैं। इसका उदाहरण संजय सिंह तथा अन्य लोग भी हैं। संजय सिंह ने बड़ी ही चालाकी से अपने रास्ते के सारे काटें निकाल फेंके हैं। सारा ड्रामा सिर्फ राज्य सभा के चुनाव की दावेदारी के लिए है। इन दो के रहते संजय सिंह और कुमार विश्वास की दाल नहीं गलती इसलिए ये सारा ड्रामा रचा गया। कभी एसपी-बीएसपी (सपा-बसपा) के आंतरिक लोकतंत्र पर भी पत्रकार और संपादक बोल दिया करते थे। अब उन्हें आप को देखने को मिल जाएगा।

कहां है आप में लोकतंत्र

कुल मिलाकर आम आदमी पार्टी में कल जिस तरह से लोकतंत्र की हत्या हुई और एक अलग राय रखने वालों को उनकी औकात बताई गई उससे साफ है कि आप में लोकतंत्र नाम की कोई जगह नहीं है। यही तो कहा करती थीं शाजिया इल्मी। तब उनका बहुत से लोगों ने मजाक बनाया था।

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English summary
No place for outspoken leaders in AAP. Only followers of Kejriwal like Ashutosh and Sanjay Singh to thrive.
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