अगर दिल्ली में आया भूकंप तो तबाह हो जाएंगे 80 फीसदी घर
नयी दिल्ली। शनिवार को नेपाल में आए 7.9 तीव्रता वाले भूकंप ने सबकुछ तबाह कर रख दिया। नेपाल की ये कंपन दिल्ली तक पहुंची, हलांकि दिल्ली तक पहुंचते-पहुंचते इसकी तीव्रता 4 से 5 रह गई थी, जिसकी वजह से यहां किसी नुकसान की खबर नहीं है, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि अगर भूकंप दिल्ली-एनसीआर में आया तो क्या होगा, कितना तैयार है दिल्ली-एनसीआर इस भूकंप से निपटने के लिए?
दुनिया में भूकंप के लिहाज़ा से सबसे खतरनाक इलाकों को 'सीस्मिक ज़ोन 5' में रखा जाता है। जबकि दिल्ली सीसमिक ज़ोन 4 में आता है। कहने का मतलब ये कि भूकंप की दृष्टिकोण से दिल्ली सिर्फ एक पायदान ही नीचे है।
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अगर दिल्ली और आसपास के इलाके में 7 या आसपास की तीव्रता वाला भूकंप आया तो क्या होगा? जी हां अगर यहां 7 या आसपास की तीव्रता का भूकंप आया तो यहां जिस तरह की इमारतें बनी हैं, उसमें आधी से ज़्यादा इमारते भूकंप का बड़ा झटका नहीं झेल सकतीं। अनुमान के मुताबक दिल्ली की 80 फीसदी इमारतें भूकंप की इस तीव्रता को झल नहीं पाएगी।
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चांदनी चौक और सदर बाजार जैसे पुरानी दिल्ली के इलाको का क्हीया होल होगा ये सोच कर ही जर लग जाता है।तंग गलियां और मुहल्ले तो छोड़िए यहां आधुनकि सुविधाओं से युक्त नई बनी या बन रही बहुमंजिली इमारतें भी भूकम्प के लिहाज से सुरक्षित नहीं हैं।
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बड़े भूकम्प में दिल्ली की 70 फीसदी से अधिक आबादी मटियामेट हो सकती है। चांदनी चौक, नई सड़क, सदर, दयाबस्ती, सब्जीमंडी, शकूरबस्ती और तमाम इलाके ऐसे हैं जहां किसी प्राकृतिक आपदा में मरने वालों की तादात लाखों में हो सकती है।
चांदनी चौक जैसी पुरानी आबादी ही नहीं सीलमपुर, निजामुद्दीन, ओखला, समेत तमाम घनी आबादी वाली बस्तियों में आपदा भयावह नतीजे दे सकती है। पूर्वी दिल्ली के यमुना खादर का इलाका सबसे खतरनाक जोन पाया गया था। इसमें से लक्ष्मीनगर, गांधीनगर, पांडवनगर, पटपड़गंज, गीता कालोनी सहित तमाम घनी आबादी वाले इलाके शामिल हैं।इसके अलावा मीठापुर, ओखला और नोएडा और ग्रेटर नोएडा के इलाके भी खतरनाक हैं। ऐसे में दिल्ली कैसे इन आपदाओं से निपटेगी ये चिंता विषय बना हुआ है।