सरकार बनाने के छोटे दलों के संपर्क में भाजपा, शिवसेना की बढ़ी टेंशन
मुंबई। महाराष्ट्र में भाजपा 122 सीटों के साथ सबसे बड़ी के तौर पर ऊभरी है, लेकिन वो बहुमत के आंकड़ों से 22 सीटें पीछे रह गई। ऐसे में सरकार बनाने केलिए उसे सहयोगी की तलाश है। पुराने दोस्त भी साथ देने को तैयार है, लेकिन उनकी शर्ते भाजपा को हजम नहीं हो रही है। ऐसे में महाराष्ट्र की राजनीति मेंं तोड़-जोड़ का काम जोड़-शोरों पर है।
शिवसेना ने भाजपा को समर्थन देने की पेशकश तो की, लेकिन सीएम पद के कम उसे मंदूर नहीं है। ऐसे में भाजपा अन्य संभावनाओं की तलाश कर रही है। भाजपा के रणनीतिक दबाव से शिवसेना की बेचैनी बढ़ गयी है।
शिवसेना की ओर से पेशकश के बाद अब तक भाजपा में कोई पहल नहीं की जा रही है। भाजपा सूत्रों के मुताबिक पार्टी नेतृत्व ने अबतक शिवसेना का समर्थन लेने का अंतिम निर्णय नहीं किया है। भाजपा बहुमत से 22 विधायक दूर करने केलिए निर्दलीय व छोटे राजनीतिक धड़ों की मदद मांग रही है। भाजपा की इस रणनीति के दोहरे नीहितार्थ हैं।
भाजपा
अपनी
इस
चाल
से
एक
तो
शिवसेना
की
अकड़
को
ढीला
करना
चाहती
है
तो
वहीं
उसे
यह
अच्छे
से
अहसास
कराना
चाहती
है
कि
राज्य
में
अगली
सरकार
उसके
बिना
भी
बन
सकती
है।
महाराष्ट्र
विधानसभा
में
कई
छोटे
दल
व
निर्दलीयों
ने
इस
बार
सीटें
जीती
हैं
और
उसमें
ज्यादातर
भाजपा
के
साथ
आ
जायें।
भाजपा
के
इस
कदम
से
शिवसेना
में
हलचल
पैदा
हो
गई
है।