पानी के लिए 40 दिन में पत्नी के लिए खोद डाला कुंआ
मुंबई। आपने वह फिल्म जरूर देखी होगी जिसमें नवाजुद्दीन सिद्दीकी अकेले ही पहाड़ तोड़ डालते हैं, दशरथ मांझी के उस किरदार को नवाज ने बड़े परदे पर जीवंत किया था तो महाराष्ट्र के कलाबेश्वर गांव में बापूराव ने इस कहानी को एक बार फिर से हकीकत में जीवंत किया है।
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दरअसल जब बापूराव की पत्नी रविवार की सुबह पानी भरने के लिए गांव के कुएं में पर गयी तो लोगों ने उन्हें सिर्फ इसलिए कुएं से पानी नहीं भरने दिया क्योंकि वह दलित थी। इस बात से बापूराव इतने दुखी हुए कि उन्होंने अकेले ही 40 दिन के भीतर एक नया कुंआ खोद डाला।
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बापूराव ने जिस कुएं को खोदा है उसका इस्तेमाल उस गांव के दलित कर रहे हैं। बापूराव पेशे से दिहाड़ी मजदूर हैं और हर रोज आठ घंटे की मजदूरी करते हैं। लेकन मजदूरी से वापस आने के बाद बापूराव ने हर रोज छह घंटे इस कुंए की खुदायी की और पानी निकालने में सफल हुए।
वहीं जब इस बाबत बापूराव से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं गांव में विवाद नहीं करना चाहता इसलिए मैंने अपनी पत्नी के साथ हुई इस घटना के बाद खुद औजार लेकर कुंआ खोदने में जुट गया। मैं भगवान का शुक्रगुजार हूं कि मुझे इसमें सफलता मिली। उन्होंने कहा कि पहले जो लोग मुझपर हंस रहे थे अब वह मेरे कुएं से पानी ले रहे हैं।