दोनों हाथ नहीं, पैरों से गाड़ी चलाकर विक्रम ने छुआ मुकाम
नई दिल्ली। 'कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं हो सकता...एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों...' और इन लाइनों को सच कर दिखाया है इंदौर के विक्रम अग्निहोत्री ने। विक्रम दिव्यांग हैं...उनके दोनों हाथ नहीं हैं...इसके बावजूद विक्रम ने वो कर दिखाया, जिसकी कल्पना भी आप नहीं कर सकते।
इसे उनका बुलंद हौसला ही कहा जाएगा कि दोनों हाथ नहीं होने के बावजूद पैरों से गाड़ी चलाने वाले विक्रम ने गाड़ी चलाने का लाइसेंस हासिल कर लिया है। हालांकि उन्हें इसके लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा।
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शुरुआत में जब विक्रम ने ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन किया तो परिवहन विभाग ने नियमों के कारण उन्हें लाइसेंस देने से मना कर दिया था।
हालांकि बाद में विक्रम का संघर्ष रंग लाया और नियमों में संशोधन होने के बाद उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस दिया गया।
कानून की पढ़ाई कर रहे विक्रम गैस एजेंसी चलाते हैं। शुरुआत में विक्रम गाड़ी चलाने के लिए अपने साथ एक ड्राइवर रखते थे, लेकिन बाद में उन्हें महसूस हुआ कि छोटे से काम के लिए भी उन्हें दूसरे इंसान पर निर्भर रहना पड़ता है।
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इसके बाद विक्रम ने अपनी गाड़ी में कुछ अहम बदलाव कराए। उन्होंने एक ऑटोमेटिक गीयर वाली कार ली और उसमें ब्रेक और रेस बाईं तरफ लगवाए। विक्रम अपने दाहिने पैर से स्टीयरिंग संभालते हैं और बाएं पैर का इस्तेमाल रेस व ब्रेक के लिए करते हैं।
विक्रम ने अक्टूबर 2015 में लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। परिवहन विभाग के ड्राइविंग टेस्ट को भी उन्होंने पास कर लिया लेकिन विभाग ने उनका आवेदन यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वह हाथ से सिग्नल नहीं दे सकते।
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इसके बाद विक्रम ने केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात की और उनसे मामले में हस्तक्षेप करने के लिए कहा। विक्रम इस संबंध में गडकरी के अलावा कई अन्य मंत्रियों से भी मिले।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में जब दिव्यांगों के लिए गाड़ी चलाने के नियमों में बदलाव का आदेश दिया, तब विभाग ने विक्रम को ड्राइविंग लाइसेंस दे दिया। बिना किसी दुर्घटना के विक्रम अभी तक 14500 किलोमीटर गाड़ी चला चुके हैं।