गांव में ही महिला सरपंच को चप्पल हाथ में लेकर निकलना पड़ता है
इन दबगों के द्वार से निकलना होता है तो वो पैर की चप्पलें हाथों में लेकर निकलती हैं क्योंकि इन्हें डर होता है कि दबंग कहीं उनकी बेइज्जती न कर दें।
टीकमगढ़। टीकमगढ़ जिले की एक ऐसी पंचायत जहां दलित महिला सरपंच को पैरों मे चप्पल पहनना गुनाह हो जाता है। दबंगों के द्वारा आए दिन की उसके साथ मारपीट की जाती है और विकास कार्यों में बाधा डाली जाती है। पीडित सरपंच ने एसपी को इसके खिलाफ आवेदन दिया है।
टीकमगढ़
जिले
की
ग्राम
पंचायत
बर्माताल
है
जहां
की
सरपंच
पुक्खन
देवी
हैं
जो
दलित
समाज
से
आती
हैं।
लेकिन
सरपंच
या
उसके
परिवार
की
कोई
भी
महिला
पैर
में
चप्पल
पहनकर
दबगों
के
द्वार
से
नहीं
निकल
सकती
हैं।
अगर
निकलती
हैं
तो
उसके
साथ
मारपीट
और
बेइज्जती
की
जाती
है।
क्योकिं
दबगों
का
कहना
है
कि
गांव
मे
ये
परंपरा
लंबे
समय
से
चली
आ
रही
है।
जब
कोई
दलित
महिला
को
इन
दबगों
के
द्वार
से
निकलना
होता
है
तो
वो
पैर
की
चप्पलें
हाथों
में
लेकर
निकलती
हैं
क्योंकि
इन्हें
डर
होता
है
कि
दबंग
कहीं
उनकी
बेइज्जती
न
कर
दें।
इस
माामले
से
परेशान
होकर
पीडितों
ने
पुलिस
को
आवेदन
दिया
है।
लेकिन
पुलिस
अधिकारी
वही
रटा-रटाया
जबाब
देते
हैं।
आजादी मिले हमें भले ही 70 साल हो गए हों लेकिन बुंदेलखंड के ग्रामीण इलाकों में आज भी लोगों की सामंती सोच नहीं बदली है। यही वजह है कि जनता द्वारा चुनी हुई दलित महिला सरपंच और उसके परिवार को गांव के दबंगों के दरवाजे से पैर की चप्पल हाथ में लेकर निकलना पड़ता है, शासन चाहे जितने दावे कर ले लेकिन बुंदेलखंड की हकीकत आपके सामने है।